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Description
Sujets
Informations
Publié par | Diamond Books |
Date de parution | 10 septembre 2020 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789390287611 |
Langue | English |
Informations légales : prix de location à la page 0,0158€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
स्वच्छ भारत क्रांति
व्यवहार परिवर्तन के चार स्तंभ
eISBN: 978-93-9028-761-1
© लेखकाधीन
प्रकाशक डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.
X-30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-II
नई दिल्ली- 110020
फोन : 011-40712200
ई-मेल : ebooks@dpb.in
वेबसाइट : www.diamondbook.in
संस्करण : 2020
Swachh Bharat Kranti
By - Parameswaran Iyer
‘स्वच्छ भारत अभियान’ की पूर्व-उपलब्धियां
“इतिहास में यह एक ऐसी अनोखी घटना है जिसमें कि एक स्वास्थ्य-सम्बन्धी कार्यक्रम की ओर 100 करोड़ से अधिक व्यक्ति आकर्षित हुए और इसमें भागीदार बने। इस पुस्तक में नीति बनाने वालों से लेकर नीति लागू करने वालों तक और जाने-माने व्यक्तियों से लेकर ज़मीनी स्तर से जुड़े स्वच्छता कार्यकर्ताओं तक जितने भी व्यक्तियों के उद्धरण हैं, वे इस बात का सबूत हैं।”
सौम्या स्वामीनाथन उप महानिदेशक (कार्यक्रम), विश्व स्वास्थ्य संगठन
“जिस तरह से इस महान देश के निवासियों ने प्रधानमंत्री के आह्वान के प्रति अपनी लगन और जागरूकता प्रदर्शित की और खुले में शौच की आदत को जड़ से हटाने में अपना पूरा योगदान दिया, यह इस बात का सबूत है कि जब 100 करोड़ से अधिक लोगों की सामूहिक शक्ति किसी काम को करने में प्रभावी ढंग से जुट जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। यदि आज बापू हमारे साथ होते तो न केवल वे हमारी उपलब्धि पर बल्कि इस बात पर भी गर्व महसूस करते कि हमने किस तरीके से इसे संभव बनाया। यह पुस्तक उस अटूट साहस को प्रदर्शित करती है जिसने स्वतंत्र भारत में, स्वच्छ भारत अभियान को सबसे बड़ा जन आंदोलन बना दिया।”
स्मृति ज़ुबिन ईरानी केन्द्रीय मंत्री, भारत सरकार
“शायद ही दुनिया-भर में कोई ऐसा सरकारी कार्यक्रम होगा जो स्वच्छ भारत जैसे एक ऐसे अभियान में बदल गया होगा जिसमें देश के इतने लोगों ने भाग लिया होगा। मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझता हूँ कि मुझे इसमें अपना योगदान देने का अवसर मिला। यह पुस्तक उस ऐतिहासिक अभियान की सफलता का प्रमाण है विश्व के लिए। साथ ही सामाजिक क्रांति लाने का एक जीता-जागता उदाहरण है।”
अमिताभ बच्चन (अभिनेता) ब्रांड एम्बेसडर, स्वच्छ भारत अभियान
समर्पण
भारत के लोगों और उन लाखों स्वच्छाग्रहियों को समर्पित जिन्होंने इस अभियान को संभव बनाया
विषय-वस्तु
प्राक्कथन : एक कदम स्वच्छता की ओर नरेंद्र मोदी
भूमिका : गजेंद्र सिंह शेखावत
परिचय : परमेश्वरन अय्यर
राजनीतिक नेतृत्व
1. स्वच्छता- राज्य का विषय - रघुबर दास
2. वैश्विक राजनीतिक स्वच्छता गठबंधन - केविन रड्ड
3. स्वच्छता और पवित्र गंगा - उमा भारती
4. कभी-कभी अच्छे कार्य के लिए अपने हाथ गंदे करने पड़ते हैं - राजीव महर्षि
5. संघीय भूमिका - अरुण बरोका
6. एक बदलाव जिसे स्वच्छ भारत कहा जाता है - वैलरी कर्टिस
7. लोगों का स्वच्छता को 'लक्ष्य' बनाना जसपुर जिला की कहानी - प्रियंका शुक्ला
8. स्वच्छ नाइजीरिया 2025 - सुलैमान एच अदामु
सार्वजनिक वित्त
9. हो कथनी करनी एक समान - अरुण जेटली
10. स्वच्छ भारत अभियान और चक्रीय स्वच्छता अर्थव्यवस्था - शेरिल हिक्स
11. अच्छी स्वच्छता अच्छा अर्थशास्त्र है: चुनौतियां और समाधान - हार्टविग शेफर
12. स्वच्छ भारत मिशन की लागत और लाभ की तुलना - गाय हटन, निकोलस ऑसबर्ट और फ्रांसिस ओढीयाम्बो
13. स्वच्छता में नवीन प्रौद्योगिकी - बिंदेश्वर पाठक
14. स्वच्छता वित्तपोषण: अवसर और संभावनाएं - गैरी वाइट और मैट डेमन
15. एक अभियान जिसे विकेन्द्रित किया गया - अमिताभ कांत
भागीदारियां
16. स्वच्छ भारत: भारत ने असंभव को संभव बनाया - अरविन्द पनगरिया
17. अभियान का मूल-स्तर पर मूल्यांकन - आदिल जैनुलभाई
18. एक जन आंदोलन - अक्षय राउत
19. कॉरपोरेट सेक्टर को एकजुट करना - नैना लाल किदवई
20. स्वच्छता योद्धा: ज़िला स्वच्छ भारत प्रेरक कार्यक्रम - रतन एन. टाटा
21. स्वच्छता प्रणाली में युवाओं की भूमिका - महिमा वशिष्ट, विनीत जैन और करिश्मा काद्यान
22. स्वच्छता ही सेवा - संजय गुप्ता
23. एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत के लिए विश्वास की शक्ति - साध्वी भगवती सरस्वती
24. एक महान देश का सृजन - सद्गुरु
25. मिशन मोड की सफलता - विजय किरण आनंद
26. प्रौद्योगिकी: एक स्वीकृत शक्ति - नीता वर्मा, दीपक चंद्र मिश्र और सीमान्तिनी सेनगुप्ता
27. टॉयलेट: एक प्रेम कथा - अक्षय कुमार
28. यथा-स्थिति को अस्वीकार करना - मार्क सुज़मन
29. स्वच्छ भारत और इसका संतोषजनक प्रभाव - हेनरियेट्टा एच फोर
जन भागीदारी
30. सबकी ज़िम्मेदारी - पी.के. सिन्हा
31. सम्पूर्ण आशावाद - बिबेक देबरॉय
32. मेरा गाँव, मेरा गौरव - राधिका सुन्दरमूर्ति
33. दरवाजा बंद तो बीमारी बंद - अमिताभ बच्चन
34. गरीब समर्थक, महिला समर्थक - सुरजीत एस. भल्ला
35. चलो चम्पारण - तवलीन सिंह
36. उपसंहार - परमेश्वरन अय्यर
37. सन्दर्भ
38. इंडेक्स
39. योगदानकर्ताओं के विषय में
40. संपादक के विषय में
प्राक्कथन एक क़दम स्वच्छता की ओर
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत सरकार
दो बातें महात्मा गाँधी के दिल के बहुत क़रीब थीं- पहली ‘भारत की स्वतंत्रता’ और दूसरी ‘स्वच्छता’। लेकिन यदि उन्हें इन दोनों के बीच किसी एक को चुनना होता तो उनके लिए स्वच्छता अधिक महत्त्व रखती- ऐसा उनका कहना था। भारत ने उनके जीवन-काल में 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता तो प्राप्त कर ली, लेकिन उनका दूसरा सपना अभी भी पूरा नहीं हो पाया है। उदाहरण के लिए 2014 में भी ग्रामीण स्वच्छता के आंकड़े केवल 38 प्रतिशत थे, वह वर्ष जिसमें हमारी सरकार बनी। यह स्वतंत्रता के सात दशक बाद और सरकार की ओर से चलाए जाने वाले कार्यक्रमों के तीन दशक बाद का नज़ारा है। स्पष्ट है कि यदि बापू के सपने को पूरा करना था तो, हमें कुछ बदलाव लाने की ज़रूरत थी।
जब मुझे लाल किले की प्राचीर से, 15 अगस्त, 2014 को, स्वतंत्रता दिवस पर अपना पहला भाषण देना था, तो मुझे वह अवसर प्राप्त हुआ कि मैं इस स्वच्छता से संबंधित बात को, विशेषकर खुले में शौच करने की प्रथा से संबंधित बात को लोगों के सामने रखूं, जो हम सब देशवासियों के लिए बहुत शर्म की बात है। इसे एक असाधारण योजना के रूप में देखा गया, क्योंकि हमारे देश में यह मानने वाले ही बहुत कम थे कि ऐसी कोई समस्या भी है। यह तथ्य जान कर कि ‘60 करोड़ भारतीय खुले में शौच करते हैं’, मुझे बहुत दु:ख होता था- विशेषकर यह जानकर कि हमारी माताओं और बहनों को शौच से निवृत होने के लिए अँधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है और वे विभिन्न बीमारियों का शिकार बनती हैं।
हम जब तक इस समस्या को सुलझाएंगे नहीं तब तक हम किसी भी बात का हल नहीं निकाल सकते। इसलिए, स्वतंत्रता दिवस के मेरे भाषण का एक महत्त्वपूर्ण विषय था ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की घोषणा। मैंने सब भारतीयों से यह पूछा कि क्या महात्मा गाँधी के प्रति हमारा इतना कर्त्तव्य भी नहीं है कि हम अपने गाँव, अपनी सड़कों, गलियों, अपने समुदाय, अपने स्कूल, अपने मंदिरों और अस्पतालों और अपने आस-पास के सभी स्थानों को साफ रखें और गन्दगी न फैलाएं? हमने अपने लिए लक्ष्य रखा कि हम अपने देश को 2 अक्टूबर, 2019 तक ‘खुले में शौच से मुक्त’ बनाएंगे और बापू का सपना पूरा करेंगे।
यह लक्ष्य केवल एक सरकारी योजना मात्र नहीं था। स्वच्छ भारत प्रत्येक नागरिक की ज़िम्मेदारी है जिसको उन्हें निभाना है। यदि हम सब मिल जाएँ और उसे लोगों का एक अभियान बना दें तो कोई कारण नहीं कि हम दुनिया के सबसे स्वच्छ देशों की गिनती में नहीं आ सकें। यह कार्य राजनीति से परे था। हमें यह कार्य राजनीति के प्रभाव के बिना देश के प्रति अपनी देशभक्ति के बल पर करना था। यह अभियान गरीबों के स्वास्थ्य, हमारे बच्चों के स्वास्थ्य और समाज के सबसे कमज़ोर लोगों के लिए ज़रूरी था। और यही बात थी जो इसे पूरी तरह राष्ट्रीय रूप दे रही थी।
आज, जब हम 2019 में प्रवेश कर चुके हैं तो यह गर्व की बात है कि इस अभियान ने जो सफलता प्राप्त की है उसने यह साबित कर दिया है कि यदि हम सब साथ काम करें तो असंभव से असंभव कार्य भी संभव हो सकता है। यह देश के लोगों के दृढ़ निश्चय और संकल्प का सबसे बेहतर उदाहरण है। पिछले कुछ वर्षों में मुझे देश के विभिन्न भागों से स्वच्छता के कुछ ऐसे कार्यकर्ताओं के बारे में सुनने को मिला और उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कश्मीर से कन्याकुमारी तक और कच्छ से कोहिमा तक हम सबने स्वच्छता के इन वीरों की कहानियां सुनी हैं जिन्होंने अपने कार्य की सीमाओं के परे जाकर स्वच्छ भारत को साकार रूप दिया।
जो भी इस अभियान से जुड़ा है वह एक स्वच्छाग्रही है। स्वच्छाग्रही गांधीजी की सोच और उनके आदर्शों का प्रतीक हैं और उन्होंने सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह के अभियान की एक नई शक्ति और जोश का संचार किया है। भविष्य में भी जब भी इस अभियान की बात होगी तो भारत के स्वच्छाग्रहियों के नाम श्रद्धा से लिए जाएंगे जैसे कि भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए जाते हैं। जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने हमें राजनीतिक स्वतंत्रता दिलाई, वैसे ही स्वच्छाग्रही हमें खुले में शौच की आदत से मुक्ति दिला रहे हैं।
ग्राम प्रधानों और सरपंचों ने भी इस अभियान में मुख्य भूमिका निभायी है। अभियान की शुरुआत में, गंगा किनारे के ग्राम प्रधानों ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक शपथ ली थी कि खुले में शौच करने की प्रथा समाप्त हो और नदियां प्रदूषण मुक्त बनें। इससे पहले कि देश खुले में शौच करने की प्रथा से मुक्त होता, इन गांवों में यह लक्ष्य दो वर्ष पूर्व ही प्राप्त कर लिया गया।
यहाँ देश की मीडिया का उल्लेख करना भी ज़रूरी है। उन्होंने सरकार को जवाबदेह बना कर रखा, नागरिकों के अभियान को गति दी और इसे अपना सामाजिक दायित्व समझ कर ही सफ़ाई से जुड़े अभियान चलाए। देश उनको यह साबित करने के लिए बधाई देता है कि मीडिया भी देश के विकास के लक्ष्य को पूरा करने में एक सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
यह पुस्तक लोगों के अभियान के रूप में, सरकारी योजना के रूप में, आर्थिक क्रांति और स्वच्छता क्रांति के रूप में एक कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं को समेटने का सच्चा प्रयत्न है। सभी लेखकों को मेरा आभार, जिन्होंने समय निकाल कर इस पुस्तक में अपना योगदान दिया है और अपने नज़रिए से इस बहुमुखी अभियान के बारे में लिख कर इसे पुस्तक का स्वरूप दिया है।
मैं दोबारा कहना चाहूंगा कि बापू का सपना तभी पूरा हुआ जब 130 करोड़ भारतीय साथ आए और उसे संभव बनाया। मैं आशा करता हूँ कि यह पुस्तक बाकी दुनिया को यह दिखा देगी कि जब लोग किसी कार्य के लिए एक-जुट हो जाते हैं तो बहुत कुछ किया जा सकता है। भारत की स्वच्छता योजना से दुनिया भर के लोग प्रेरित होते रहेंगे और पूरे विश्व में ‘खुले में शौच करने की प्रथा’ को हमेशा के लिए समाप्त करेंगे।
भूमिका गजेंद्र सिंह शेखावत
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, भारत सरकार
स्वच्छ भारत योजना एक सरकारी योजना या स्वच्छता प्रोग्राम से कहीं ज्यादा है। पिछले पाँच सालों में भारत ने एक सामाजिक क्रांति देखी है- एक अभियान जो भारत की जनता का है, भारत की जनता द्वारा चलाया जा रहा है और भारत की जनता के लिए है। भारत के लोगों ने देश के प्रधानमंत्री के आह्वान का समर्थन किया और उन आदतों को बदला, जिन्हें वो सदियों से अपना रहे थे। इसने भारत में स्वच्छता की कहानी बदल दी और यह दुनिया भर में सफल हो सकता है। यह एक विचित्र और अनोखी कहानी है, जिसे बताना ज़रूरी है।
भारत के कई पौराणिक ग्रंथों में एक स्वच्छ मन और शरीर के लिए सफ़ाई और स्वच्छता के महत्त्व की बात कही गई है। बल्कि दुनिया भर में सबसे विकसित स्वच्छता की प्रणालियाँ भारत में सिंधु सभ्यता में विकसित हुईं।
इतने सालों में स्वच्छता से हमारा ध्यान हट गया था, जब तक कि प्रधानमंत्री ने इसे दोबारा एक राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बना दिया और जैसा कहते हैं कि बाकी इतिहास है। 2014 में स्वच्छता का प्रतिशत केवल 39 प्रतिशत था, और अब (जून 2019) भारत ‘खुले में शौच करने’ से मुक्त होने वाला है। और इस बदलाव का हमारे जी