VYAVHAR KUSHALTA
74 pages
Hindi

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VYAVHAR KUSHALTA , livre ebook

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Description

The book contains practical tips to become courteous, polite and soft-spoken. It gives the basic teachings for positive thinking, healthy competition, coexistance and stable relationships. Not only in Home, with family or at the workplace, the skills and lessons which you’ll learn from this book will help you in all walks of life and if properly implemented, you would surely learn and grow in all respects.


Sujets

Informations

Publié par
Date de parution 14 janvier 2013
Nombre de lectures 0
EAN13 9789352151974
Langue Hindi

Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

व्यवहार कुशलता
लोकप्रियता और सफलता की सीढ़ी
GOOD BEHAVIOUR
A Step towards Popularity and Success
 
 
 
 
पी.के. आर्य
 
 
 



प्रकाशक

F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002 23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028 E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com
क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटि, हैदराबाद-500015
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com
शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com
फ़ॉलो करें:
© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स ISBN 978-93-814485-9-5
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020

व्यवहार कुशलता...! • कुशल व्यवहार ही तो हमारे व्यक्तित्व को खूबी के साथ प्रकट करता है। —यशपाल   • ऐसा व्यवहार दूसरे के साथ न करें, जो स्वयं के लिए प्रतिकूल है। —महाभारत   • अपने बांधवों से जो आत्मीयता का व्यवहार करता है, वह तुम लोगों में श्रेष्ठ होता है। —हज़रत मोहम्मद   • कुशल व्यवहार वह दर्पण है, जिसमें प्रत्येक का प्रतिबिंब देखा जा सकता है। —गेटे   • कार्य कुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। —अज्ञात   • खट्टी-मीठी सबकी सुन लेना, सबके साथ मीठा व्यवहार करना। —ॐ श्री सांई   • Behaviour is a Mirror in Which Everyone Displays His Own Image —Goetne   • जैसा तुम अपने साथ व्यवहार कराना चाहते हो, उसी तरह का व्यवहार औरों के साथ करो। —ईसा मसीह


समर्पण
अपने परमपूज्य पिता श्री शंकर दत्त आर्य के प्रति, जिन्होंने छोड़ दिया, मुझे अपनी नाव खुद खेने के लिए चरितार्थ करने के लिए अपनी प्रतिभाएं। जिन्होंने मुझे सिखाया– सर्वाधिक सशक्त आधार है केवल अपनी ही टांगों का। दुनिया बदल देने की तदबीर अपनी हथेलियों में मुंह ढांपे सो रही है। ज़रूरत है– उसे कर्म और श्रम से उजागर करने की। सम्मानपूर्वक समर्पित यह छोटा सा प्रयास...


अंदर के पृष्ठों में (inside the page)..!
कार्य क्षेत्र में व्यवहार कुंशलत्ता (Good Behaviour in Working Fields)
1. व्यवहार कुशलता एक वरदान
व्यक्ति गत कुशलता का बिकास सक्षम व्यक्तियों का सर्वत्र स्वागत कुशलता का अर्थ व्यक्तित्व की दौलत अपने व्यक्तित्व की खोज
2. दूसरों का ख्याल रखिए
अपने 'स्वत्व' का बिस्तार कीजिए आत्मकेंद्रित न बनें तालमेल का हुनर स्नेह के बीज रोपिए आक्रमणशीलता से बचें प्रेम का महत्व
3. विनम्र व म दुभाषी बनिए
विनम्र व शिष्ट सभी के प्रिय चुप रहना भी एक कला है मधुर बोलें, प्रिय बोलें छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखें
4. उदासी को जीतिए
सबसे खराब उदासी का रंग मानसिक अवसाद क्यों उदासी के अलावा भी बहुत कुछ है अलविदा अवसाद मानवीय स्पर्श का महत्व
5. समय का मूल्य पहचानिए
स्वर्णिम क्षणों की कद्र करें बुद्धि का सदुपयोग समय की साधना समय का सदुपयोग
6. मनहूसियत से बचिए
जिंदगी फूल है खुशबू से महकते रहिए प्रसन्नता का प्रसार चिंता नहीं चिंतन करें अकर्मण्यता से बचें
7. पात्र-कुपात्र को परखिए
संभाल कर रखिए भरोसे की पूंजी सचेत रहें, सतर्क रहें भरोसा पैदा करें
8. झूठ-फरेब से दूर रहिए
जैसा बोहए, वैसा काटिए छोटे-छोटे कार्यों का महत्व श्रेष्ठ आदतों का विकास
9. कथनी और करनी में साम्य बनाइए
बरसने वाले बादल बनिए कथनी करनी में एका व्यवहार सबसे बड़ा उपदेश
10. स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा में विश्वास करें
सफलता का सूर्योदय लक्ष्य निर्धारित कीजिए
सामाजिक क्षेत्र में व्यवहार कुशलता (GOOD Behaviour in Social-Life)
11. सकारात्मक दष्टिकोण
मानसिक विकारों से बचें गुणों में छिपा है वास्तविक सौंदर्य अहंकार से बचिए
12. सहयोग की भावना
किसी के हो जाइए अहंमन्यता की मनोग्रंथि अच्छी तरह व्यवहार निभाईए
13. क्रोध व झल्लाहट आपके शत्रु
क्रोध व्यक्तित्व का दुर्बल पक्ष क्रोध के प्रकार क्रोध के उत्पत्ति सभी अनर्थों का हेतु क्रोध निवारण के सूत्र
14. दोस्त अवश्य बनाइए
सच्ची मित्रता किसी वरदान से कम नहीं सच्चा हमराज मित्रता: एक भरोसा लोकप्रियता के रहस्य
15. चिड़चिड़ेपन को छोडिए
खुश तथा प्रसन्नचित्त रहिए खुश मिजाज बनें हीन भावना से बचिए
16. अपने दुखों का रोना बद कीजिए
सुख के पुष्प चुनिए दुखों को भूलने की आदत विकसित करें धनोपार्जन ही सुख का आधार नहीं
17. सम्मानजनक कार्यों को प्राथमिकता दें
बिन इज्जत सब सुन अपनी इज्जत आप कीजिए हठीलपन से बचिए
18. सामाजिक कार्यों तो लिए समय निकालें
समाज से गहन सरोकार फैसलों में लेट-लतीफी ठीक नहीं
19. हिंसक तथा विध्वंसक गतिविधियों से परहेज करें
मारधाड़ क्यो? आक्रामक प्रव त्ति कुंठा के कुप्रभाव
20. औरों के काम आइए
अपने लिए जीना भी कोई जीना है? सहयोग के लिए तत्परता 'नहीं' कहना भी सीखें
व्यक्तिगत व्यवहार कुशलता (Individualistic Good Behaviour)
21. कैसे खुश रहें पति-पत्नी
आपसी सौहार्द बनाए रखिए सुख समद्धि अपके द्वार विवाहरूपी समझौते का पालन करें पति-पत्नी क्या करें
22. परस्पर भावनाओं को समझें
प्रेम के प्रवाह में गोते लगाइए गलतफहमियों से बचिए
23. महत्त्वपूर्ण अवसरों को याद रखिए
उपहारों का चमत्कार उपहारों का चुनाव कैसे करें
24. तानों-उलाहनों से बचें
तानों-उलाहनों का आरकेस्ट्रा ये भी नहीं बच सके उलाहनों के रूप काबू पाने के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स
25. चुगलखोरी बुरी बला
चुगली न करें कम खाना गम खाना
26. उधार न लें
मितव्ययिता सबसे बड़ी कुशलता मितव्ययिता का अर्थ कंजूसी नहीं घरेलू बजट बनाइए
27. बच्चों की अनदेखी न करें
प्याली पाठशाला घर बच्चों का स्वभाव समझें किशोरावस्था में मित्र बनें
28. चरित्र का ख्याल रखें
चरित्र एक अमूल्य संपदा पवित्र आचरण सर्वोत्कष्ट बनने का यत्न कीजिए हृदय की रश्मियां
29. व्यसनों से दूर रहें
सच्चे बनें अच्छे बनें मादक द्रव्यों से बचें


सरोकार
ए क बहुत समद्ध महिला अपने चिकित्सक के पास गई । बीमारी उसकी ठीक हो गई थी,लेकिन चिकित्सक को उसकी फीस चुकानी बाकी थी। लंबी और घातक बीमारी के दौरान चिकित्सक की योग्यता और व्यवहार से महिला। बहुत प्रभावित थी । चिकित्सक की फीस के बारे में काफी सोच समझकर उसने निर्णय लिया और एक रत्नजटित बहुमूल्य झोले में कुछ रखकर चिकित्सक को भेंट किया ।
चिकित्सक ने खूबसूरत थैले को एक बार देखा और नजर फेर लीं। यह सोचना उसकी कल्पना से बाहर था कि थैले में रत्न भी चिपके हो सकते है और उसके भीतर भी कुछ हो सकता है । उसने समझा कि थैले पर रंग-बिंरगे कांच के टुकड़े चिपके होंगे । भला रत्नजटित झोले भी कहीं कोई भेंट देता है? यह महिला सस्ते में निकलीं जा रही है । उसने हिसाब लगा रखा था कि कम-से-कम तीन सो रुपए उसकी फीस थी और यह महिला झोला देकर ही बची जा रही है । उराने कहा, "झोला तो ठीक है, तुम्हारे स्नेह का उपहार स्वीकार करता। हूं लेकिन मेंरी फीस का क्या...?" महिला बहुत अनुभवी थी। चिकित्सक के मन में छिपे लोभ और उसके झूठे प्रेम को उसने जाल लिया और पूछा, "तुम्हारी फीस कितनी है?" चिकित्सक ने हिसाब लगाया और जितना ज्यादा-से-ज्यादा वह बता सकता था, उसने बताया, "तीन सौ रुपए ।"
महिला ने तुरंत झोला खोला।। उसमे रखे दस हजार रुपयों में से तीन सौ रुपए निकालकर चिकित्सक को दे दिए । बाकी रुपए और झोला लेकर यह वापस चली गई ।
चिकित्सक आश्चर्य से देखता रह गया । उसे पता चल चुका था कि उसे दी गई भेंट 10,000 रुपए थी और यह थैला भी बहुमूल्य था । मगर अब क्या हो सकता था? उसे चिकित्सक पर क्या गुजरी होगीं? यह आसानी से सोचा जा सकता है । उस दिन के बाद वह बीमार हो गया, फिर उसकी चिकित्सा मुश्किल हो गई । वह बार-बार पछताया कि व्यवहार कुशलता की कमी के कारण उसने न केवल धन खोया, बल्कि एक स्नेहपूर्ण संबंध भी खो दिया।
हमारी जिन्दगी की शक्ल इस दष्टांत से बहुत ज्यादा जुदा नहीं है। हम अपनी भूलवश लोगों को समझ नहीं पाते । हम उनके सत्कार का, प्रेम का, सौहार्द का, अपनत्व और आदर का कुछ और ही अर्थ लगा लेते है और अपने क्षुद्र स्वार्थों से ऊपर उठकर सोच ही नहीं पाते। हमें जीवन की व्यावहारिकता का कोई पता ही नहीं । परस्पर सौहार्द व व्यवहार और दूरगामी सोच के चमत्कारों से हम अछूते है । चूंकि हमें व्यवहार कुशलता के रहरयों की जानकारी नहीं है । अत: हम दुखी हैं.... असफल है।
क्या व्यवहार कुशलता इतनी चमत्कारिक है कि उसके बलबूते। दुर्गम और कंटकाकीर्ण मार्ग पर चलकर सफलता के दुर्ग पर विजय पताका फहराई जा सकती है? क्या उसके माध्यम से जीवन रूपी समुद्र की गहराई से हम उपलब्धियों के हीरे-मोती बटोर कर ला सकते है? यही विचार इस पुस्तक के लेखन की प्रेरणा बना ।
पुस्तक को तैयार करने में विभिन्न लोगों ने अपने अमूल्य सहयोग से मुझे नवाजा, उसेक लिए मैं उनका शुक्रगुजार हूं। अनन्य सहयोग हेतु अपनी पत्नी डॉ. मोनिका 'पुष्पेंद्र' तथा मित्र डॉ. रेखा अरोड़ा के प्रति मेरा साधुवाद संप्रेषित है ।
पुस्तक की खूबियो, खामियों की बाबत आपकी बेबाक राय की मुझे प्रतीक्षा रहेगी ।
संप्रति-प्रबंध संपादक पी.के. आर्य मीडियाफीचेर्स ऑफ इण्डिया ए… 31 , मुस्कान काम्पलेक्स बु़ढ़ानागेट, मेरठ- 250002 (उ.प्र.) फोन- 0121-531788 ई-मेल- pkarya@indiatimes.com

अध्याय 1
व्यवहार कुशलता एक वरदान
(GOOD BEHAVIOUR IS A BLISSING)

व्यक्तित्व निर्माण का प्रश्न हर एक आदमी के वास्ते व्यक्तिगत सवाल है। इसका किसी दूसरे आदमी से कोई संबंध नहीं है। दूसरा कोई भी अभी आदमी मन तथा व्यक्तित्व को बलवान एवं द ढ़ नहीं बना सकता। कोई भी व्यक्ति आपको दुर्बल से शक्ति सम्पन्न, असफल से सफल और 'कुछ नहीं' से अब कुछ' नहीं बना सकता। आप स्वयं ही सब कुछ' बन सकते हैं और आप में यह सब करने की शक्ति, सामर्थ्य मौजूद है।
-लिली एलन
आ ज के भौतिकवादी युग में जहां चारो ओर एक भाग-दौड़ है, मारामारी है, जल्दबाजी और तेज रफ़्तार है, वहीं हम सब अपनी ही तरह की अजीबो-गरीब उधेड़बुन में उलझे हुए है । हमारे अंतस् में एक अत प्त लालसा गहरे पैठी है । हम दूसरों से ज्यादा धन, सुख-सुविधाएं और एशो-आराम की वस्तुएं जुटाना चाहते है । यह लालसा इस कदर जनून में बदल गई है कि आए-दिन रिश्तो़ं का कत्लेआम हो रहा है । हम सब स्वयं को सफल व समर्थ होने के लिए कुछ भी करने को बेताब हैं। नकारात्मक दष्टिकोण से किए गए कार्य जहां हमारे पतन का द्वार बनते हैं, वहीं व्यवहार कुशलता व सकारात्मक मन-मस्तिष्क के परिणम हमारे लिए एक वरदान से कम नहीं होते।
व्यक्तिगत कुशलता का विकास
(Development of indvidual Skilfulness)
आज किसी भी व्

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