SHIKSHAPRAD KATHAYEIN
64 pages
Hindi

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SHIKSHAPRAD KATHAYEIN , livre ebook

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Description

Moral values play an important role in moulding the attitude and approaches of children in their life. Moral values help the children go through the entire cycle of life as good human beings. So it is vital to impart moral values to children.Moral Stories comprises 30 amazing, educative and heart-touching stories with a moral at the end of each story, which will explain the importance and usefulness of moral values in life. Here you will find fun and education at the same place. With awesome illustrations in four-colour this book brings stories to life in an imaginative and soothing way. Read to your children (and to yourself as well) and help them improve their imagination and mould their life in a better way.A well-chosen companion for every child!


Informations

Publié par
Date de parution 27 février 2012
Nombre de lectures 0
EAN13 9789352151790
Langue Hindi
Poids de l'ouvrage 1 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

शिक्षाप्रद कहानियाँ
प्रो. श्रीकान्त प्रसून

बिषय सूची कछुए की उडान गधे की आकांक्षा न पक्षी न जानवर तीन बैल : एक शेर ऊँट का नृत्य धोखे की सजा भेड़िये का धैर्य सुकन्या का विवाह राजा डोर की सत्यता एक व्यक्ति की पसन्द अहिंसा और शान्ति मालिक की सुखद वापसी नकली और असली महात्मा मानव की समस्याएँ ओम नम: शिवाय बिल्ली के गले में घण्टी अन्याय और बदला बूढ़े शेर की चालाकी कृपण का धन घर का झगडा शक्तिशाली कौन? भूखे कुत्तों की मूर्खता महर्षि च्यवन युवा बने दक्षिणा के साक्षी मन्त्री की खोज जीवन से अधिक महत्त्वपूर्ण केले के छिलके और श्रीकृष्ण 49 पवनों की उत्पत्ति ईश्वर की दया पौत्रों के लिए फलदार पेड़



प्रकाशक

F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002 23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028 E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com
क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटि, हैदराबाद-500015
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शाखा : मुम्बई
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E-mail: vspublishersmum@gmail.com
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© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स ISBN 978-93-815884-1-3
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
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इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020


भूमिका
आम आदमी के जीवन से स्वास्थ्य, सुख सन्तोष और करुणा जैसे मानवीय गुणों का लोप हो गया है, और इनका स्थान अहंकार, ईर्ष्या, क्रोध, प्रतिशोध, अपराध और भोग-सामग्री जैसे विषयों ने ले लिया है, जिसके करण चरित्रहीनता, प्रतिशोध, हत्या और स्वास्थ्य-प्रदूषण जैसे विनाशकारी हथियारों का विकास हुआ है, जो पृथ्वी का विनाश करने के लिए पर्याप्त है।
इन पर केवल विचार-सन्तुलन, आशा व विश्वास के अलावा खुशी, माधूर्य, सौहार्द से ही नियन्त्रण किया जा सकता है और इसी से जीवन की निरन्तरता की गारण्टी दी जा सकती है। यही कारण है कि जीवन में नैतिक शिक्षा और आथ्यात्मिकता की सबसे अधिक जरूरत है। अत: संसार की लाखों नैतिक कहानियों में से यहाँ मात्र 51 कहानियों को प्रस्तुत किया गया है, जो जाति, धर्म, पन्थ, लिंग जैसे भाव से निरपेक्ष हैं।
इन कहानियों को आप आत्मसात् करने के ध्येय से पढें, जिससे बेहतर समझ और भाव-समृद्धि का प्रादुर्भाव हो और जीवन में सफलता प्राप्त की जा सके।


कछुओं का एक राजा था। उसे राजा बृहस्पति को विवाह का निमन्त्रण मिला। वह आलसी था, फलत: घर पर ही रह गया। विवाह के उत्सव में सम्मिलित नहीं हुआ। बृहस्पति नाराज हो गये। उन्होंने कछुओं को पीठ पर अपना घर ढोने का शाप दे दिया।
एक समय एक बड़े तालाब में एक कछुआ रहता था। उसमेँ अनेक राजहंस भी रहते थे। उनकी उड़ान कछुए को बहुत अच्छी लगती थी। वह भी उड़ना और दुनिया देखना चाहता था, किन्तु उसके पास कोई मार्ग नहीं था। दो राजहंस उसके गहरे मित्र थे । एक दिन कछुए ने कहा कि वह एक लकडी को बीच में पकड़ लेगा और दोनों राजहंस उन लकडियों के किनारे पकड़ कर उड़ जायेंगे। इससे उनके साथ उड़कर वह भी दुनिया देख लेगा। राजहंस तैयार हो गये।

पहाड़ी पर उड़ता हुआ कछुआ अति आनन्दित था। वह उड़ान के मजे ले रहा था। तभी एक कौवा आया और पूछा, "क्या तुम राजा हो कि हस तरह उड़ रहे हो।" कछुआ कहना चाहता था, "हाँ, हूँ।" मगर बोलने के लिए जैस ही मुँह खोला,पतथरो पर-गिरा जा और टुकड़े-टुकड़े हो गया।

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