SAMASYAYO KA SAMADHAN - TENALI RAM KE SANG (Hindi)
113 pages
Hindi

Vous pourrez modifier la taille du texte de cet ouvrage

Découvre YouScribe en t'inscrivant gratuitement

Je m'inscris

SAMASYAYO KA SAMADHAN - TENALI RAM KE SANG (Hindi) , livre ebook

-

Découvre YouScribe en t'inscrivant gratuitement

Je m'inscris
Obtenez un accès à la bibliothèque pour le consulter en ligne
En savoir plus
113 pages
Hindi

Vous pourrez modifier la taille du texte de cet ouvrage

Obtenez un accès à la bibliothèque pour le consulter en ligne
En savoir plus

Description

Tenali Raman was a court jester, an intelligent advisor and one of the ashtadiggajas (elephants serving as pillar and taking care of all the eight sides) in the Bhuvana Vijayam (Royal Court) of the famed emperor of Vijaynagar Empire (City of joy) in Karnataka – Sri Krishna Deve Raya (1509- 1529), the model rular par excellence to Ashoka, Samudra Gupta and Harsha Vardhana. Tenali Raman was an embodiment of acute wit and humour and an admirable poet of knowledge, shrewdness and ingenuity. In a short span, the legacy left behind by Tenali Raman attained eternity. All these qualities of Tenali Raman have been fully explored and displayed in this collection of vibrant fables and anecdotes.

The book is a marvelous treasury of legends of Tenali Raman and Emperor Raya which evokes a long lost, never- never land: an enchanted world of alert wits and tricky gossips; crafty crooks with biting tongues, valiant brigands and an assorted cluster of uncommon common people.

Narrated by the author and superbly illustrated, “Fix Your Problems – The Tenali Raman Way” is an engaging blend of earthly wisdom and sparkling humour which deal with concepts that have certain timelessness. Each story is followed by terse moral and incalculable snippets which are usually that little extra that brings the reader a little more closer to his goal on the way to realizations. Every story purveys a pithy folk wisdom that triumphs over all trials and tribulations. The moralistic traits sagaciously portrayed by these stories intend to develop a series of impacts that can reinforce certain key ideas by the rational mind of the readers in all facets of life and propel them to the top in every endeavour. The stories various layers of meaning educates, informs, advises, enthuses, inspires and amuses and thus have a teaching effects which makes this book a must read for every aspiring individuals who wants to race ahead in the world of opportunities and cusses. The book also exposes how richly endowed Bharata Khanda (India before invasions) had been in the east in the field of wisdom and knowledge down the ages of which the west is ignorant.


Informations

Publié par
Date de parution 01 juin 2015
Nombre de lectures 0
EAN13 9789350573761
Langue Hindi
Poids de l'ouvrage 3 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

समस्याओं
का समाधान
तेनालीराम के संग


Fix your Problems – The Tenali Raman Way


विशाल गोयल






प्रकाशक

F2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002
23240026, 23240027 • फैक्स 011A23240028
E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com

क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटी, हैदराबाद - 500 095
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com

शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com

फ़ॉलो करें:
© कॉपीराइट:
ISBN 978-93-505737-6-1


डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020

विषय-सूची
प्रस्तावना
1. सूर्योदय
2. जैसे को तैसा
3. चावल के दाने
4. अन्तिम पहेली
5. नये आयाम
6. बाल की खाल
7. स्वर्ग का रास्ता
8. आयु का गणित
9. अनोखी तरकीब
10. गागर में सागर
11. गुरु घण्टाल
12. चमत्कारी जल
13. तेनाली का न्याय
14. पतीले का बच्चा
15. घोड़े की ताकत
16. पोटली की शर्त
17. बड़ा कौन?
18. काफ़िले का दसवाँ ऊँट
19. मौत के सौदागर
20. किस्सा-ए-तेनाली
21. मुर्गी की कीमत
22. नायाब
23. सपनों का महल
24. भविष्यवाणी
25. पंच वाणी
26. आम या कान?
27. शादी की रस्म
28. मिठाई की जड़
29. चित्रकार अच्चुत राव
30. काँच के गुलदान
31. स्वर्ग का रास्ता
32. अशर्फियों का थैला
33. मालिक कौन?
34. तेनाली का ईनाम
35. रंग-बिंरगा पक्षी
36. माली की बकरी
37. चर्मकार और साहूकार
38. समय की कीमत
39. तीन बोरे चावल और दो बोरे गेहूँ
40. गलती का सुधार
41. मुर्गे का पेट
42. गुलाब की बेल
43. ईमानदारी का पैमाना
44. पात्र या शर्बत
45. बड़ा कौन?
46. राजकुमार की पहचान
47. गुरु-शिष्य
48. चोर की सहनशीलता
49. गन्ने जैसा राजा
50. कर्जे का बोझ
51. भूखी बिल्ली
52. माफी
53. मिलावटी मिर्च
54. खाली मटका
55. वीर केसरी
56. कूँए की शादी
57. एक पहेली
58. किसका बटुआ?
59. बैंगन की सब्जी
60. बात की बात
61. कूँए में सन्दूक
62. मृत्यूपरान्त
63. चतुर व्यापारी
64. मूर्खाधिराज
65. सेठजी
66. असली माला
67. नाई की इच्छा
68. लोहे की सन्दूकची
69. ईश्वर का न्याय
70. शीशे में भगवान
71. आम का पौधा
72. गुड़ में चींटी
73. जो होता है......
74. आखिरी बुलावा


समर्पण


मेरी प्रेरणा और नैतिकता के प्रकाश-स्तम्भ मेरे पिता
और मेरी माता जी के चरणों में समर्पित।

प्रस्तावना


मेरे लिए ‘समस्याओं का समाधान, तेनाली राम के संग’ पुस्तक का प्रकाशित होना एक सपना था, जो साकार हो गया है। मैं उन सभी लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करना चाहता हूँ, जिन्होंने मुझे यह पुस्तक लिखने में मानसिक रूप से प्रेरित किया, समय-समय पर मार्गदर्शन किया और प्रोत्साहित किया।
मैं विशेष रूप से अपने माता-पिता, दोनों बड़े भाई, भाभी, अपनी पत्नी का आभारी हूँ, जिन्होंने इस विषय पर विचार-विमर्श करने में बढ़-चढ़ कर भाग लिया और प्रेरणा प्रदान की।
इस पुस्तक को लिखने में व्यस्त होने के कारण मैं अपने पुत्र व भतीजों को विशेष समय नहीं दे पाया, जो मुझसे उम्मीद करते थे और जिसके वे हकदार थे।
मैं अपने वरिष्ठ सहयोगी श्री जी.एस.बैंस, मुख्य प्रबन्धक पी.एस.डव्ल्यू. सी. का भी आभारी हूँ, जो मेरे प्रेरणास्रोत रहे हैं।
मैं वी. एण्ड एस. पब्लिशर्स को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने इस पुस्तक को सुन्दर ढंग से प्रकाशित किया है।
- विशाल गोयल

तेनालीरामः एक अनूठा व्यक्तित्व


निजी पार्श्वचित्र
नाम - गरलपति तेनाली रामकृष्ण उर्फ तेनालीराम
जाति - ब्राह्मण
जन्मस्थान - आन्ध्र प्रदेश के गुण्टूर जिले के तेनाली शहर के पास तुमुलुरू ग्राम।

कार्यक्षेत्र
विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय के राज दरबार-भुवन विजयम के अष्टदिग्गजों में से एक। ये अष्टदिग्गज राजा कृष्णदेव राय के दरबार के आठ मजबूत स्तम्भ माने जाते थे।
तुलुव राजा श्री कृष्णदेव राय (1509-1529ई.) विजयनगर साम्राज्य के मशहूर राजा थे। (जिन्हें कन्नड राज्य राम रमन्ना या मूरू रायरा गण्ड और ऑन्ध्र भोज के नाम से भी जाना जाता है) इनका साम्राज्य आज के कर्नाटक राज्य में स्थित था। इनका युग ‘स्वर्णयुग’ के नाम से भी प्रसिद्ध था।

गुणों की खानः तेनालीराम
• अनेक भाषाओं जैसे मराठी, तमिल, कन्नड, तेलगू और संस्कृत के ज्ञाता।
• कवि, ज्ञानी, वाकपटु, विदूषक, चतुर, होशियार।
• राजा कृष्णदेव राय के दरबार के राजविदूषक और उनके खास सलाहकार।

खास गुण
तेनालीराम एक वाक्पटु एवं होशियार व्यक्ति थे, जिनका राजा कृष्णदेव राय के दरबार में बहुत सम्मान किया जाता था। तेनालीराम के भीतर हर समस्या से निबटने की प्रबल इच्छाशक्ति थी। वे हर समस्या को बड़ी ही समझदारी से सुलझाते थे। उनके अनुसार उनके हर कार्य की सफलता का रहस्य था-
• सच्चाई से कार्य करना।
• फल की चिन्ता न करना।
• लपक कर कार्य पूरा करना।
• ताकत का दुरुपयोग न करना।

लेखन कार्य
तेनालीराम ने अनेक कविताएँ एवं धार्मिक ग्रन्थ लिखे हैं। जिनमें से मुख्य हैं
• उद्मताराध्य चरित्रमु (एक भिक्षुक उद्मत के जीवन पर आधारित)
• पाण्डुरंग माहात्म्यम् (पंच काव्यों में से एक)
• घटिकाचल माहात्म्यम् (वेलूर शहर के निकट स्थित घटिकाचलम् पर आधारित जहाँ भगवान नरसिंह की पूजा होती है।)

उपाधिायाँ
तेनालीराम वाक्पटु एवं चतुर व्यक्ति थे। अपनी समझदारी से उन्होंने अनेकों बार राजा कृष्णदेव राय के सम्मान की रक्षा की। महाराज ने तेनालीराम को अनेक उपाधियों से सम्मानित किया थाः
• विकट कवि (विदूषक कवि)
• कुमार भारती
• आन्ध्र पेरिस
तेनालीराम के जीवन का सार उनके नाम में ही है - ते.ना.ली.रा.म अर्थात्
• तेजमय व्यक्तित्व।
• नाना प्रकार की विधाओं एवं भाषाओं के ज्ञाता।
• लीपापोती न करते हुए साफगोई से वार्तालाप करने का गुण।
• राह में आये हर कण्टक को अपनी वाक्पटुता से मिटाने की क्षमता।
• मन से सच्चे, ईमानदार व्यक्ति।
- तो ऐसे थे तेनालीराम।
आज के जमाने में भी तेनालीराम की बातें उतनी ही अमूल्य हैं, जितनी सोलहवीं सदी में थी। तेनालीराम को आज भी हम गुरुओं का गुरु कह सकते हैं।
अमरीका के राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी का यह कथन तेनालीराम पर बिल्कुल ठीक बैठता है -
“मनुष्य कितनी ही मशीनें ईजाद कर ले पर दुनिया का सबसे बेहतरीन कम्प्यूटर स्वयं मनुष्य ही है।”

प्रस्तावना

भारतवर्ष की सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है। भारतभूमि पूरे संसार के लिए एक अजूबा रही है। भारत का विस्तार इतना अधिक है कि अन्य देश इसके सौवें भाग के बराबर भी नहीं हैं। हम सभी, जब सूती कपड़ा पहनते हैं; दशमलव का प्रयोग करते हैं; मुर्गी के स्वाद का आनन्द लेते है; शतरंज या चौपड़ खेलते हैं; आम चूसते हैं; हाथियों की सवारी करते हैं; मन की शान्ति के लिए योग एवं आत्मिक गुरुओं की शरण लेते हैं; या सिर के बल खड़े होने जैसी हठयौगिक क्रियाएँ करते है, तब हम भारतवर्ष की सम्पन्न सभ्यता के ऋणी होते हैं।
हमारे प्राचीन ग्रन्थों- वेद, उपनिषद, स्मृति, सूत्र, धर्मशास्त्र आदि में प्राचीन ऋषियों द्वारा अर्जित ज्ञान भरा है। इसी ज्ञान के भण्डार से हमारे आज के ज्ञान का उद्भव हुआ है। भारत की सामाजिक राजनैतिक और आर्थिक व्यवस्था का मुख्य आधार ये प्राचीन ग्रन्थ ही हैं, जिनमें वर्षों का अर्जित ज्ञान समाया हुआ है। आज हमें इस ज्ञान की ज्योति को सम्पूर्ण भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में बिखेरना है।
अटलाण्टिक महासागर के द्वारा ब्रिटेन से भारत आते हुए मार्ग में पुर्तगाल, स्पेन, अल्जीरिया आदि देश पार करते हुए यात्री भारत पहुँचते हैं। मार्ग में अर्जित ज्ञान और अनुभव, उस ज्ञान और अनुभव से कहीं कम है, जो भारतीय अपने देश में बैठे हुए ही अर्जित कर लेते हैं।
अवतारों के इस देश भारत में हर पुस्तक, हर अनुभव, हर ज्ञान को पूरा महत्व मिलता है। कुछ भी भुलाया नहीं जाता। इसीलिए भारतीय सभ्यता को आज भी अत्यन्त रहस्यमय, अवैज्ञानिक, प्राचीन, परम्परागत, पुरातनवादी और समाजवादी माना जाता है। हमारे गुणों, परम्पराओं और धर्मों को नवीन और पश्चिमी सभ्यता पुरानी बताती है, क्योंकि वे भारत की अनमोल उच्च सभ्यता, परम्पराओं और ज्ञान का मूल्य पश्चिम की उथली, क्षणभंगुर सभ्यता के आगे लगाने में असमर्थ हैं। पश्चिमी सभ्यता की बाह्य चमक-दमक में भारतीय-संस्कृति की आन्तरिक खूबसूरती छुप चुकी है। वे भूल चुके हैं कि कभी भारत में बीरबल, चाणक्य, मनु और तेनालीराम जैसे महान ज्ञानी हुए थे, जिनके मुँह से निकला एक-एक शब्द ज्ञान का भण्डार था।
यदि हम नवीनता और पश्चिमी सभ्यता अपनाने के चक्कर में अपने मूल्यों और परम्पराओं को भूल जाते हैं, तो हमसे बड़ा मूर्ख कौन होगा? हम अपनी इस पुस्तक के द्वारा सोलहवीं सदी की एक महान विभूति का आपसे परिचय करा रहे हैं, जो पूरे विजयनगर साम्राज्य के चहेते थे।
दक्षिण पठार में स्थित विजयनगर साम्राज्य को पुर्तगाली ‘बिस्नग साम्राज्य’ के नाम से जानते थे। यह साम्राज्य हम्पी के विरूपाक्ष मन्दिर के चारों ओर बसा था। उत्तरी कर्नाटक के बेल्लरी जिले में आज भी विजयनगर के भग्न अवशेष पाये जाते हैं। भारत के सबसे ताकतवर राज्यों में से एक, विजयनगर आज भी दूर-दूर से लोगों को आकर्षित करता है। इस शहर के भग्न अवशेषों को यूनेस्को ने ‘वर्ल्ड हेरिटेज साइट’ घोषित किया था। हम्पी के आसपास चलने वाले वाहनों, सड़कों और पुलों के निर्माण के कारण इस भग्न शहर के अवशेषों को नुकसान पहुँचने का अन्देशा बढ़ चुका है। इसलिए सन् 1999 में यूनेस्को ने इसे लुप्तप्राय स्थल घोषित किया।
ऐसा माना जाता है कि विजयनगर भारत का सबसे बड़ा राज्य था और पन्द्रहवीं सदी में विश्व का दूसरे स्थान का शहर था, क्योंकि यहाँ लाख लोग रहते थे। चौदहवीं से सोलहवीं सदी तक विजयनगर साम्राज्य का सितारा बुलन्दी पर था। इसी बीच विजयनगर के शासकों का दिल्ली के सुल्तान और दक्षिण के सुल्तानों के साथ लड़ाई-झगड़ा चलता रहता था।
जब दिल्ली के ताकतवर सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद-बिन तुगलक ने दक्षिण के हिन्दू राज्यों पर हमला बोला, तब दो हिन्दू राजकुमार हरिहर राय और बुक्का राय, जिन्हें संगमा भाइयों

  • Univers Univers
  • Ebooks Ebooks
  • Livres audio Livres audio
  • Presse Presse
  • Podcasts Podcasts
  • BD BD
  • Documents Documents