PERSONALITY DEVELOPMENT COURSE (Hindi)
266 pages
Hindi

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PERSONALITY DEVELOPMENT COURSE (Hindi) , livre ebook

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Description

Kisi bhi manushya ki safalta ya asafalta uske vyaktitva ki aham bhomika hoti hai sabhi log samaj me safal hone ke liye apne vyaktitva nikharna chahte hai unaka vyaktitva hi unki pehchan hoti hai apne vyaktitva ke dum par hi vyakti aam logo me kuch khaas nazar aata hai pratek vyakti jeevan me kuch khaas karna chahta hai tatha kuch khaas banna chahta hai bazaar ki jarutat aura am aadmi ki maang ko dhyaan me rakhkar yeh pustika prakashit ki gayi hai bazaar me yeh apne dhang ki akeli pustak hai. Prastut pustak matra 30 din me sampurna vyaktitva vikas hetu saral evam aadhunik course par aadharit avashya pathniye pustak hai, anek chitro se susajjit yeh pustak aath bhago me vibhajit ki gayi hai prtek bhaag ko bhi chote chote sambhago me baata gaya hai sabhi sambhaag apne aap me purna hai pustak me udaharan evam case studies sahit baat ko saral evam spashtha shabdo me samjhaya gaya hai prtek din ke liye ek adhyay samanya vyakti ke samarthya evam samay anusaar likha gaya hai. Yeh pustak vyaktitva vikas ke gur se otprot hai.


Informations

Publié par
Date de parution 01 juin 2015
Nombre de lectures 0
EAN13 9789350573716
Langue Hindi
Poids de l'ouvrage 2 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

अरुण सागर ‘आनन्द’




प्रकाशक़

F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002
23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028
E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com

क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटी, हैदराबाद - 500 095
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com

शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com

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© कॉपीराइट:
ISBN 978-93-505737-1-6

डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020
प्रकाशक़ीय
प्रत्येक प्रकाशक़ की इच्छा होती है कि अधिक से अधिक पाठक उनकी पुस्तकों को पढ़ें। वी एण्ड एस पब्लिशर्स अधिक टाइटल्स छापने की प्रतिस्पर्धा में शामिल होना नहीं चाहता। कारण यह है कि किसी भी पुस्तक को छापने से पहले हम खूब विचार-विमर्श करते हैं तथा यह निश्चित करना चाहते है कि पुस्तक समाज में प्रेरणा का आधार बने।
हमारी अधिकांश पुस्तकें जनरुचि और समय की माँग के अनुरूप होती हैं। शोध के आधार पर हमने महसूस किया कि आवश्यकता है सरल एवं सटीक पुस्तकों की जो सही जानकारी से परिपूर्ण हो। किन्तु दुःखद पहलू यह है कि राष्ट्रभाषा हिन्दी में ऐसी पुस्तकों का प्रायः अभाव है। जीवनोपयोगी पुस्तकें प्रायः अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध हैं, जिससे आबादी का बहुमत भाग इस प्रकार की पुस्तकें पढ़ने से वंचित रह जाता है। और वंचित हो जाना उनके जीवन में उठने की ललक में बाधा और कठिनाई का कारण बन जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की अपने व्यक्तित्व को निखारने की लालसा व बाजार में इस विषय पर उत्कृष्ठ पुस्तकों के अभाव ने हमें पसनैलिटी डेवेलपमेंट कोर्स पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए प्रेरित किया।
अनेक चित्रों से सुसज्जित, इसे 8 भागों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार है- जानें अपने बारे में, आपका व्यक्तित्व और बॉडी लैंग्वेज (शारीरिक भाषा), कैसे करें व्यक्तित्व का विकास, अपना व्यक्तित्व निखारें (शिष्टाचार), आपका आन्तरिक व्यक्तित्व, व्यक्तित्व विकास एवं करिअर, व्यक्तित्व विकास के 7 आध्यात्मिक नियम, क्या कहता है मनोविज्ञान व्यक्तित्व के बारे में। प्रत्येक भाग को भी छोटे-छोटे संभागों में बाँटा गया है। इसे इस ढंग से लिखा गया है कि सभी संभाग अपने आप में पूर्ण है लेकिन इस प्रकार कि अगला भाग पिछले भाग का पूरक भी है।
पर्सनैलिटी डेवेलपमेंट कोर्स 30 दिनों में विभाजित एक सरल एवं आधनिक कोर्स है। प्रत्येक दिन सामान्य व्यक्ति के सामर्थ्य और समय के अनुसार लिखा गया है जिससे मस्तिष्क में स्थायी छवि बन सके और सम्पूर्ण आत्मविकास में सहायक हो सके। यह पुस्तक आपको समाज में परिपक्व पहचान बनाने में पूर्णरूप से सहयोग करेगी और जीवन में भागीदार बनेगी सिर्फ 30 दिनों में।
पुस्तक का लेखन व सम्पादन जानकार विशेषज्ञों द्वारा किया गया है। यथा सम्भव प्रयास किया गया है कि पुस्तक में कहीं कोई गलती न रह गयी हो फिर भी यदि कोई त्रुटियाँ रह गयी हों तो अपने सुझाव सहित उससे अवगत अवश्य कराएँ।
सूचना
सभी पाठकों को यह सूचित किया जा रहा है कि पुस्तक में दी गयी सूचना का गलत प्रयोग या गलत व्याख्या के लिए हमारी कतई कोई जिम्मेदारी नहीं है न तो हम इसकी कोई गारंटी लेते हैं कि पुस्तक में दी गयी विषय-वस्तु शत-प्रतिशत पत्थर की लकीर की भाँति अकाट्य नहीं है। पाठक की ओर से हुई भूल-चूक के लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे। पाठकों से एक विनम्र निवेदन यह है कि पुस्तक में दिये गये सलाह या उपाय लेखक के अपने व्यक्तिगत अनुभव एवं विचार हैं। इसके लिए न तो लेखक, न तो प्रकाशक़ को जिम्मेदार ठहराया जाये। पुस्तक आपके व्यक्तित्व विकास में सहयोग अवश्य करेगी किन्तु इसे रामबाण न समझें। यह एक मनोवैज्ञानिक पहलू है जो अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग ढंग से प्रभाव डालेगा। आवश्यकतानुसार किसी व्यावसायिक विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।

प्रस्तावना
प्रिय पाठको!
यह पुस्तक-एक पुस्तक नहीं, अन्तर्ज्ञान के एक ऐसे ख़ज़ाने की चाबी है, जिसे हासिल करने के बाद आप दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्क़ी करते चले जायेंगे और कभी मुड़कर नहीं देखेंगे।

अन्तर्ज्ञान के इस ख़ज़ाने तक पहुँचने के लिए आपको 30 द्वारों से गुज़रना होगा। जैसे-जैसे आप एक-एक द्वार खोलते जायेंगे, आप ज्ञान के ऐसे-ऐसे पहलुओं से परिचित होते जायेंगे, जो आपकी सफलता के लिए यक़ीनन मील का पत्थर साबित होंगे
इस पुस्तक के लेखन से पहले मैंने जाने—माने लेखकों की सेल्फ हेल्प’ बुक पर आधारित लगभग 50 पुस्तकें पढ़ी थीं। लगभग हर किताब में मुझे कुछ न कुछ खामियाँ समीक्षक के नाते नजर आयीं। कहने का मतलब है कि हर लेखक ने मानसिक तनाव, दुःख, निराशा, हताशा, चिन्ता, आलस्य, हीनता की भावना, कायरता आदि को व्यक्तित्व विकास के लिए अवरोधों का नाम तो दिया, लेकिन इनसे छुटकारा दिलाने वाली विधियों का ज़िक्र कहीं नहीं किया, जबकि मनोविज्ञान में इन सभी अवरोधों से निपटने के लिए ढेर सारी युक्तियाँ हैं। इस पुस्तक में मैंने मनोविज्ञान की उन सभी युक्तियों के बारे में विस्तार से बताया है, जिससे यह पुस्तक बाजार में उपलब्ध और पुस्तकों से अलग बन पायी है।
इस पुस्तक में यह भी जिक्र किया गया है कि पाठक इसका अधिकतम लाभ कैसे उठा सकते हैं। इस पुस्तक का लाभ आपको तभी मिलेगा, जब आपमें सीखने की गहरी ललक और दूसरों को प्रभावित करने की प्रबल इच्छा हो। आपके मन में यही सवाल उठ रहा होगा कि आप इस इच्छा को कैसे विकसित कर सकते हैं, इसके लिए आपको यह कल्पना करनी होगी कि आपने इस पुस्तक को पढ़कर लोगों को अपना बनाना शुरू कर दिया है, उनका दिल जीतना शुुरू कर दिया है। वास्तव में लोगों को अपना बनाना भी एक कला है, जिसमें आपको महारत हासिल करनी है। आप हर अध्याय को पहले तेज़ी से पढ़े, ताकि उसका भाव आपको समझ में आ जाये। इसके बाद अगले अध्याय को न पढ़कर फिर से उसी अध्याय को पढ़ें। और उन बातों को ध्यान से समझें, जिन्हें आपने तेज़ी से पढ़ने के दौरान समझ नहीं पाये थे। पढ़ते समय बीच में ठहरकर हर सुझाव के बारे में सोचें। स्वयं से पूछें कि आप इसे अपने जीवन में कब और किस तरह लागू कर सकते हैं। पढ़ते समय पेंसिल, मैंजिक मार्कर या हाइलाइटर हाथ में रखें। जब भी आपको कोई सुझाव उपयोगी लगे तो उसके बगल में नीचे लाइन खींच दें। अगर यह आपको बहुत अच्छा सुझाव लगे तो आप हर वाक्य के नीचे लाइन खींच दें। पुस्तक पर निशान लगा देने से पढ़ना ज़्यादा दिलचस्प हो जाता है और जब हम पुस्तक को दोबारा पढ़ते हैं तो हमें बहुत सुविधा होती है। अगर आप इस पुस्तक से लम्बे समय तक फ़ायदा उठाना चाहते हैं तो यह मत सोचिये कि केवल एक बार सरसरी तौर पर पढ़ने से ही आपका काम चल जायेगा। इसे पूरे ध्यान से पढ़ने के बाद आपको हर महीने इसे दोबारा पढ़ना चाहिए। आप इसे हर दिन अपनी मेज़ पर रखें और बीच-बीच में समय निकालकर इस पर निगाह डालते रहें। खुद को लगातार याद दिलाते रहें कि ऐसा करने से आपके सामने सुधुर की बहुत संभावनायें खुल जायेंगी। लगातार पढ़ने से और इन पर अमल करने से ही आप इन सिद्धान्तों का सही लाभ उठा सकते हैं। याद रखें, यह सिद्धान्त तभी काम करते हैं, जब इन पर अमल किया जाता है। इसके अलावा और कोई उपाय नहीं है। बर्नार्ड शॉ (Bernard shaw) ने एक बार कहा था-“अगर आप किसी को कुछ सिखाना चाहेंगे, तो वह कभी नहीं सीखेगा।’’ शॉ ने सच कहा था। सीखना एक सक्रिय भागीदारी है। हम कर-कर के ही सीखते हैं अगर आप इस पुस्तक के सिद्धान्तों पर अमल करने की इच्छा रखते हैं,तो अपने जीवन में उनका प्रयोग करिये। हर मौक़े पर इन नियमों पर अमल कजिये। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो आप इन्हें भूल जायेंगे। याद रखिए, दिमाग़ में केवल वही विचार स्थायी तौर पर रहते हैं, जिनका प्रयोग हम लम्बे समय तक करते रहते हैं। इसलिए आप इस पुस्तक को बार-बार पढ़िये। ऐसा समझिये कि यह मानवीय सम्बन्धों पर एक वर्किंग-हैंडबुक (Working-Handbook) है। जब भी आपके सामने कोई भावनात्मक समस्या आये- जैसे मानसिक तनाव, निराशा, आत्मविश्वास की कमी, अत्यधिक सम्वेदनशीलता, नींद न आनेा, क्रोध, अत्यधिक नर्वस होना, अनिर्णय की आत्मघाती प्रवृति, आलस्य, अत्यधिक चिन्ता, दुःख, भय, हीनता की भावना, पलायन करने की स्थिति, असहनशीलता, अपने विरोधियों का डट कर सामना न कर पाना, धूम्रपान से छुटकारा, शराब से छुटकारा, तथा व्यवहार कुशलता की कमी इत्यादि।........... आप उन वाक्याशों को पढ़ें, जिन पर आपने निशान लगाये है। अगर आप ईमानदारी से इन सिद्धान्तों को अपने जीवन में उतारते हैं, तो आप देखेंगे कि इन सिद्धान्तों ने आपकी क़िस्मत बदल दी है, आपमें सकारात्मक बदलाव ला दिया है

अन्त में, इस पुस्तक के लेखन के लिए मैं राममनोहर लोहिया अस्पताल के मनोरोग विभाग की प्रमुख, डॉ. स्मिता देशपांडे का विशेष रूप से आभारी है, जिन्होंने अपना क़ीमती समय निकालकर मनोविज्ञान से सम्बन्धित बेहद ख़ास-ख़ास जानकारी उपलब्ध करायीं। यह पुस्तक निश्चित रूप से पाठकों को उनके जीवन में सफलता की सीढ़ियों के शीर्ष तक पहुँचाने में परम रूप से सहायक होगी, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।
-अरुण सागर ‘आनन्द’

समर्पण
यह पुस्तक सादर समर्पित है
डॉ. स्मिता देशपाण्डे को,
जिन्होंने मुझे लेखन
की नई प्रेरणा दी...!



भाग - 1 जानें अपने बारे में (Know Yourself)
पहला दिन
कितने सकारात्मक (Positive) हैं आप?
कितने सन्तुलित (Balanced) हैं आप?
कितने सम्वेदनशील (Sensitive) हैं आप?
कितने मिलनसार (Sociable) हैं आप?
कितने धैर्यवान (Patient) हैं आप?
आपका नज़रिया (View) कैसा है?
कितने तनहा (Lonely) हैं आप?
कितने शिष्टाचारी (Well-mannered) हैं आप?
कितने दुश्चरित्र (Bad Character) हैं आप?
कहीं आप मज़ाक़ के पात्र (Laughing-stock) तो नहीं?
दूसरा दिन
क्या आप तनाव से मुक्त (Tension-free) हैं?
कितने व्यस्त (Busy) हैं आप?
क्या आप अंधविश्वासी (Superstitious) हैं?
कितने फ़िट (Fit) हैं आप?
क्या आपकी दोस्ती (Friendship) प्यार (Love) है?
अपने सौन्दर्य को लेकर कितनी चिन्तित (Beauty-conscious) हैं आप?
कितनी साहसी (Bold) हैं आप?
कितने टेबल मैंनर्स (Table-manners) हैं आपमें?
क्या आप नर्वस (Nervous) पर्सनैलिटी हैं?
आपका व्यवहार (Behaviour) कितना सही है?

भाग - 2 आपका व्यक्तित्व और बॉडी लैंग्वेज़ (शारीरिक भाषा) (Body-language and Your Per

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