SWASTH RAHENE KE 51 SUJHAV
114 pages
Hindi

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SWASTH RAHENE KE 51 SUJHAV , livre ebook

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Description

The book is a guarantee in achieving perfect health. The book helps in making one realise the various habits which affect health adversely, along with the various things which are harmful for us in our day-to-day lives and how they can be dealt with.To maintain good health habits of self-wrong, accurate and easy tips to avoid addictions who is in everyday life - things are lethal and can destroy your health, recognize them. A unique book to guarantee your health.


Sujets

Informations

Publié par
Date de parution 04 avril 2012
Nombre de lectures 0
EAN13 9789350573815
Langue Hindi

Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

स्वस्थ रहने के 51 सुझाव
 
 
 
 
डॉ. प्रकाशचंद्र गंगरादड़े
 
 
 
 




योगासन एवं साधना डॉ सत्यपाल ग्रोवर
रीढ़ का दर्द पवन जैन
रोग पहचानें उपचार जानें सुदर्शन भाटिया
स्वास्थ्य सबंधी गलतफहमियां डॉ ग्रकत्माचंद्र गपांराड़े
सफल घरेलू इलाज डॉ. आर.पी. पाराशर
योग और भोजन द्वारा रोगों का इलाज डॉ. सत्यपाल ग्रोवर
यौन सम्बन्ध तरोताजा कैसे बनाये रखें शीला शलूजा चुन्नीलाल शलूजा
सेक्स के 111 सवाल डॉ प्रकाशचंद्र गंगराड़े
होम ब्यूटी क्लीनिक परवेश हांडा
किस बीमारी में क्या खायें क्या न खायें डॉ प्रकाशचंद्र गंगराड़े

वी एण्ड एस पब्लिशर्स को पुस्तकें
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www.vspublishers.com


 
 
 
 

स्वास्थ्य...
इंद्रियसचंम और मन:शुद्धि ऐसो दशायें है कि इनसे शारीरिक स्वास्थ्य तो मिलता ही है, पारमार्थिक स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है।
—अज्ञात
अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं।
—प्यूब्लियस साइरस
जल्दी सोना और प्रात: जल्दी उठना मनुष्य को स्वस्थ, धनवान् और बुद्धिमान बनाता है।
—कहावत
स्वास्थ्य परिश्रम में है और श्रम के अतिरिक्त वहाँ तक पहुँचने का कोई दूसरा राजमार्ग नहीं है।
—वेन्डेल फिलिप्स


प्रकाशक

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क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटि, हैदराबाद-500015
:040-24737290
Email: vspublishershyd@gmail.com
शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
:022-23510736
Email: vspublishersmum@gmail.com
फ़ॉलो करें:
© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स ISBN 978-93-814484-3-4
 
 
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020


 
 
 
अपनी बात _______________
लो कोक्ति प्रचलित है-'पहला सुख निरोगी काया।' शरीर की स्वस्थता ही सुख है और रुग्णता ही दु:ख है। मतलब यह कि अच्छी तन्दुरुस्ती से जाकर संसार में कोई सुख नहीं है और बिना अच्छे स्वास्थ्य के जीने में कभी भी कोई आनन्द नहीं रहता।
अंग्रेजी में एक कहावत है कि Prevention is better than cure यानी सुरक्षा और बचाव चिकित्सा से बेहतर है। आग लगने के पूर्व कुंआ खोदने वाली कहावत चरितार्थ करने के लिए यह जरूरी है कि रोग होने के पूर्व ही सतर्कता बरती जाए और आवश्यक तथा उपयोगी नियमों पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाए, तो हम रोगों से बचकर रह सकते हैं और हमारा जीवन सुखमय हो सकता है।
इसमें कोई सदेह नहीं कि स्वास्थ्य की आवश्यकता एवं उपयोगिता प्रत्येक नर-नारी के लिए है। हमारे गलत रहन-सहन, बुरी आदतें और खान-पान के दोषों के कारण ही शरीर में अनेक प्रसार की बीमारियां पैदा होती है। अत: स्वास्थ्य के प्रति सजग रहकर आपको किन-किन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए और कौन-कौन से नियमो का पालन करना चाहिए, जैसे सार्वजनिक महत्व के विषयों पर पुस्तक में चर्चा की गई है, जो निश्चित ही आपका मार्गदर्शन करेंगे तथा आपके व्यस्त, तनावग्रस्त, उलझन-से भरे जीवन में भी आपके स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए नीरोग एवं सुखी जीवन व्यतीत करने में मदद कर सकेंगे, यहीं इस पुस्तक का उद्देश्य है।
आशा है, अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग पाठक इस पुस्तक से पूरा लाभ उठाएंगे।
डॉ. प्रकाशचन्द्र गंगराड़े


अन्दर के पृष्ठों में...
1. सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग खतरनाक हो सकता है
2. शीतल पेय के स्थान पर फलों का जूस पिएं
3. साबुन का अधिक प्रयोग त्वचा के लिए हानिकारक
4. खाद्य पदार्थों में बढ़ता रंगों का ज़हर
5. हानिकारक है नमक का अधिक सेवन
6. पान, पान मसाला, गुटखा तम्बाकू, सुपारी से नुकसान
7. स्वय डॉक्टर न बने
8. बेमेल भोजन से बचें
9. शराब कितनी खराब
10. शारीरिक दुर्गंध को दूर करें
11. टॉनिक के भक्त न बनें
12. चीनी के स्थान पर गुड़ का प्रयोग करें
13. मानसिक तनाव से बचें
14. घातक हो सकती है एक्स-रे की अधिक जांच
15. प्राकृतिक वेगों को न रोके
16. पानी के सेवन में कमी न करें
17. थकान से छुटकारा कैसे पाएं
18. खाद्य विषाक्तता से कैसे बचें
19. स्नान करना भी जरूरी
20. स्वास्थ्य परीक्षण अवश्य कराएं
21. काजल, सुरमे के प्रयोग मेँ सावधानी बरतें
22. हाई हील के जूते, चप्पल, सैंडिलों से परहेज करें
23. टी.वी. अधिक देखना नुकसानदेह भी है
24. खाद्य पदार्थों में मिलावट से हानियां
25. हानिकारक है देर से सोना और देर से उठना
26. अंडे के खतरे
27. रंगीन चश्मों के प्रयोग में सावधानी बरतें
28. चाय, कॅाफी पीने से नुक़सान
29. हानिकारक हैं कीटनाशक दवाएं
30. धूम्रपान से भी परहेज करें
31. शाकाहारी भोजन ही श्रेष्ठ
32. डिटरजेंट के ख़तरे
33. धातुओं के बरतनों के प्रयोग में सावधानी बरतें
34. खतरनाक हो सकता है बालों में डाई लगाना
35. डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों से हानियां
36. नुकसानदेह है चॉकलेट का अधिक सेवन
37. शोर (कोलाहल) से बचें
38. चुम्बन से होने वाली हानियां
39. दूषित जल से हानियां
40. स्प्रे परफ्यूम के प्रयोग में सावधानी बरतें
41. हानिकारक हो सकता है प्लास्टिक का प्रयोग
42. अस्वास्थ्यकर हैं मच्छरमार मैट्स भी
43. हाई ब्लड प्रेशर की अनदेखी न करें
44. ब्रा के चुनाव में सावधानी बरतें
45. रोना भी आवश्यक है
46. हानिकारक है आवश्यकता से अधिक और गरिष्ठ भोजन
47. क्रोध कई बीमारियों का जनक है
48. शारीरिक श्रम के अभाव में होने वालों बीमारियां
49. भोजन पकाने के ईंधनों का प्रभाव
50. वायु प्रदूषण से हानियां
51. गैस की शिकायत यूं दूर करें


स्व यं को सुंदर और आकर्षक दिखाने की प्रवृत्ति के कारण ही आजकल सौंदर्य प्रसाधनों का प्रचलन सर्वाधिक होने लगा है। बिना मेकअप किए अब व्यक्तित्व अधूरा-सा लगता है। सुंदरता की ललक ने अपने पांव इस तरह पसारे हैं कि स्त्रियां तरह-तरह के बनाव- श्रृंगार करती रहती हैं। इससे वे न केवल चेहरे , वरन् अपने अन्य अंगों के दोषों को अस्थाई तौर पर छिपा कर झूठी तसल्ली पा लेती है।
पुरुष भी पीछे नहीं
ऐसा नहीं है कि सिर्फ महिलाएं ही अपना बनाव- श्रृंगार करती हैं, वरन् पुरुष भी अब पीछे नहीं। हर पत्नी अपने पति को खूबसूरत, जवान, खाका और चुस्त-दुरुस्त देखना चाहती है, अत: शहरों में अब पुरुषों के लिए भी 'ब्यूटी पार्लर', ‘हेयर ड्रेसिंग सैलून' तथा ‘हैल्थ क्लब' खुल गए है, जहां सुंदर दिखने के लिए विभिन्न प्रसाधन सामग्रियों का उपयोग आधुनिक मशीनों से नई-नई तकनीकों से किया जाता है।
यदि बनाव श्रृंगार करने में प्राकृतिक प्रसाधन सामग्रियों का उपयोग किया गया हो, तो सुंदर और आकर्षक दिखने के लिए ‘ब्यूटी पार्लर' संस्कृति की इस प्रवृति को बुरा नहीं कहा जा सकता, लेकिन यदि रसायन युक्त कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों का या घटिया क्वालिटी का इस्तेमाल अधिक किया जाए, तो उससे न केवल पैसा बर्बाद होता है, बल्कि त्वचा की स्वाभाविकता एवं कोमलता को भी काफी नुक़सान होता है और कई तरह के रोगों को बढ़ावा मिलता है।
बढ़ती मांग
सर्वेक्षणों से पता चला है कि पिछले एक दशक में सौंदर्य प्रसाधनों की बिक्री छह-सात गुना बढ़ गई है और इनके उत्पादन में पंद्रह प्रतिशत की दर से प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। तरह-तरह के आकर्षक विज्ञापनों के माध्यम से ग्राहकों को लुभाया जाता है। त्वचा को मुलायम, चिकनी, आकर्षक, चेहरे की कांति बढ़ाने, गालों की त्वचा को गुलाब की तरह लालिमा युक्त बनाने के वायदे खूब किए जाते हैं।
नकली उत्पादों को भरमार
आजकल बाजार में नकली सौंदर्य प्रसाधनों को भरमार है। यह बात समूचे विश्व में प्रमाणित हो चुकी है। ये सौंदर्य प्रसाधन सस्ते तो होते हैं, परंतु हानि प्यादा पहुंचाते हैं। इस कारण इन सस्ते बाजारी सौंदर्य प्रसाधनों के स्थान पर घरेलू नुसखों का प्रयोग किया जाए, तो न को ये हानि पहुंचाएंगे और न ही त्वचा पर इनका कोई साइड इफेक्ट होगा।
प्रसाधनों के प्रकार
आजकल बाजार में होंठों को खूबसूरत बनाने के लिए तरह-तरह के शेड वाली लिपस्टिक, नाखूनों को रंगने के लिए नेल पालिश, चेहरे को सुंदर बनाने के लिए खुशबूदार पाउडर व क्रीम, पूरे शरीर की त्वचा को निखारने के लिए विभिन्न प्रकार के लोशन, खुशबूदार परफ्यूम्स, आंखों को सुंदरता बढ़ाने के लिए काजल, सुरमे, आई लाइनर, आई ब्रो पेंसिल , मस्कारा, बालों के लिए शैम्पू और शादीशुदा महिलाओं के लिए सिंदूर, बिंदी, कुमकुम जैसे सौंदर्य प्रसाधन आसानी से सर्वत्र उपलब्ध होते हैं।
नियमित प्रयोग के दुष्परिणाम
बहुत से युवक-युवतियां दूसरों की देखादेखी, अपने को उनसे अधिक खूबसूरत बनाने के चक्कर में आवश्यकता से अधिक और नियमित रूप से सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करते हैं। उन्हें इनके प्रयोग से होने वाली हानियों का ठीक से ज्ञान नहीं होता। परिणाम जब सामने आते हैं तब तक चेहरा कुरूप हो चुका होता है। यहां तक कि चेहरे का सारा आकर्षण ही जाता रहता है।
सामान्य तौर पर सौंदर्य प्रसाधनों के उपयोग से जो दुष्परिणाम नजर आते हैं, उनमें एलर्जी होना, खुजली होना त्वचा पर दाने उभर आना, उनमें जलन होना होंठों का लाल, काला, बदरंग होकर फटना, उस पर पपड़ी पड़ना, रिसना, सूजन आना, पसीने के अवरोध से चर्म विकार आदि पमुख लक्षण होते हैं। लंबे समय तक हानिकारक रसायनों के प्रयोग से त्वचा का कैंसर तक हो सकता है। सौंदर्य प्रसाधनों के अत्यधिक प्रयोग से त्वचा रोमछिद्रों के बंद हो जाने के कारण पसीना व विजातीय तत्वों के शरीर से बाहर निकलने में बाधा पहुंचती है। इनमें मिलाए गए कृत्रिम रंग व हानिकारक रसायन हमारी त्वचा द्वारा सोख लिए जाते हैं और त्वचा के विभिन्न रोग उत्पन्न करते हैं।
टैल्कम पाउडर: सभी घरों में टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। बहुत से लोग चेहरे के अलावा नहाने के बाद इसे शरीर पर छिड़क कर लगाते हैं। इस दौरान पाउडर डस्ट के सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफडों में पहुंचकर एलर्जिक रिएक्शन पैदा कर सकते हैं। जब लंबे समय तक नियमित पाउडर छिड़कने का सिलसिला चलता रहता है, तो इससे फेफडों को भारी नुकसान पहुंचने की संभावना होती है। दमे , क्रानिक, ब्रॉन्काइटिस और फेफड़ों की अन्य

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