Body Language (Hindi)
99 pages
Hindi

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Description

वर्तमान में हर कोई सार्वजनिक जीवन जी रहा है, चाहे वह छात्र, गृहिणी हो या कोई और, विशेष रूप से कार्यालय में काम करने वाले लोगों के लिए, अच्छे व्यक्तित्व और बेहतर संचार कौशल की आवश्यकता है। शारीरिक भाषा संचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे कभी अनदेखा नहीं किया जाता है।
लेखक अरुण सागर आनंद द्वारा प्रस्तुत पुस्तक बॉडी लैंग्वेज में बॉडी लैंग्वेज से जुड़े तथ्यों के साथ आवश्यक चित्रों को विस्तार से बताया गया है। भौतिक अभिव्यक्तियों की तकनीकी समझ हमारे व्यक्तित्व में सुधार लाती है। दूसरों के बीच भी हमारी एक अलग छवि विकसित करता है। इस पुस्तक की मदद से, आप बॉडी लैंग्वेज के सभी गूढ़ संकेतों को पहचान सकते हैं और अपने व्यक्तित्व में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं और इससे उत्पन्न होने वाली अवांछित समस्याओं से भी बच सकते हैं।
पुस्तक भौतिक भाषाओं की आवश्यक जानकारी को सरल और सटीक तरीके से पाठकों तक पहुंचाती है। यह पुस्तक निश्चित रूप से आपके कैरियर को प्रगति के शिखर पर ले जाने में मदद करेगी।

Vartaman mein har koi sarvajanik jivan ji raha hai, chahe vah chhaatr, grahini ho ya koi aur, vishesh roop se kaaryaalay mein kaam karane wale logon ke liye, achchhe vyaktitv aur behatar sanchaar kaushal ki aavashyakata hai. shaareerik bhaasha sanchaar ka ek mahatvapoorn hissa hai jise kabhi undekha nahin kiya jaata hai.
Lekhak Arun Saagar Anand dvaara prastut pustak body language mein body language se jude tathyon ke saath aavashyak chitron ko vistaar se bataaya gaya hai. bhautik abhivyaktiyon ki takaneeki samajh hamaare vyaktitv mein sudhaar laati hai. doosaron ke beech bhi hamaari ek alag chhavi vikasit karata hai. is pustak ki madad se, aap body language ke sabhi goodh sanketon ko pahachaan sakate hain aur apane vyaktitv mein mahatvapoorn pragati kar sakate hain aur isase utpann hone wali avaanchhit samasyaon se bhi bach sakate hain.
pustak bhautik bhaashaon ki aavashyak jaankaari ko saral aur sateek tareeke se pathakon tak pahunchaati hai. yah pustak nishchit roop se aapake kairiyar ko pragati ke shikhar par le jaane mein madad karegi.

Everyone currently living a public life, whether a student, housewife or anyone else, especially for those working in the office, it is required to have good personality and better communication skills. Body language is an important part of communication which is never overlooked. The book Body Language written by the author Arun Sagar Anand contains essential pictures with facts related to body language. Technological understanding of physical expressions brings about improvement in our personality. This book develops a different image of us among others. With the help of this book, you can identify all the esoteric signs of body language and make significant progress in your personality and avoid unwanted problems arising from it also.
The book brings necessary information about physical languages to the readers in a simple and precise manner. The book will definitely help in taking your career to the pinnacle of progress.

Sujets

Informations

Publié par
Date de parution 01 juin 2015
Nombre de lectures 0
EAN13 9789350573518
Langue Hindi
Poids de l'ouvrage 1 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0300€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

देह-भाषा, महत्ता, व्याख्या व प्रभाव
बॉडी लैग्वेज़
व्यक्तिगत हाव-भाव एवं मुद्राओं का स्पष्टीकरण करती एक अनुपम पुस्तक





अरुण सागर ‘आनन्द’











प्रकाशक

F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002
23240026 23240027 • फैक्स: 011-23240028
E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com

क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटी, हैदराबाद-500 095
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com

शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com

फ़ॉलो करें:

© कॉपीराइटरू
ISBN 978-93-505735-1-8


डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रकः परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020


प्रकाशकीय
वी एण्ड एस पब्लिशर्स अपार हर्ष के साथ अपनी नवीनतम पुस्तक ‘बॉडी लैंग्वेज’ आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यों तो बाजार में इस विषय पर अनेकों पुस्तकें उपलब्धा हैं परन्तु हमने सर्वश्रेष्ठ पुस्तक देने का प्रयास किया है।
यह पुस्तक कई मायनों में अन्य पुस्तकों से अनुठी और उत्कृष्ट है। पुस्तक में लेखक ने लम्बे समय तक शोध के पश्चात् मानव जीवन के रोजमर्रा व्यवहार में आने वाले मानवीय भाव-भंगिमा के पीछे छिपे गूढ़ अर्थों को सरल किन्तु आकर्षक भाषा में आपके समक्ष पेश किया है। जिस प्रकार मनुष्य की एक निश्चित प्रकृति होती है जिसके अनुरूप वह दूसरों के साथ व्यवहार करता है। ठीक उसी प्रकार प्रत्येक मनुष्य के भाव-भंगिभा की एक विशिष्ट शैली होती है। बॉडी लैंग्वेज का प्रयोग आदिकाल से निरंतर जारी है। बॉडी लैंग्वेज का प्रयोग एक अबोधा शिशु से लेकर युवा, वृद्ध सभी करते हैं।
बॉडी लैग्वेज़ जिसे हम देह-भाषा भी कहते हैं, वास्तव में किसी व्यक्ति के हाव-भाव, मुद्राओं व किस प्रकार अपनी अभिव्यक्ति करता है उसके सम्मिलित मिश्रण को समझने की कला है।
इस पुस्तक में लेखक ने संक्षिप्त में सरलतापूर्वक यह बताया है कि आपकी देह-भाषा आपके बारे में बहुत कुछ कहती है अतः कब कहाँ कैसी देह-भाषा होनी चाहिए व किस प्रकार आप किसी सहयोगी की देह-भाषा की व्याख्या कर सकते हैं, इसका सम्पूर्ण विवरण इस पुस्तक में चित्रें सहित दिया गया है।
आशा है यह पुस्तक आपका मनोरंजन करने के साथ-साथ ज्ञानवर्द्धन भी करेगी।


प्रस्तावना
प्रिय पाठकों! पिछले कुछ सालों में सारे संसार में शरीर की भाषा, मानव विज्ञान के अध्ययन का एक महत्त्वपूर्ण विषय बन गया है। शोधकर्ताओं ने शरीर की विभिन्न मुद्राओं पर गहन शोध कर इस विषय पर कई बहुमूल्य मोती खोज निकाले हैं। शरीर की मुद्राएँ मनुष्य के अवचेतन मन का दर्पण होती है और यह उसके व्यक्ति की सच्ची भावनाओं व इच्छाओं को व्यक्त करती हैं। एक लम्बे अंतराल तक शरीर की मुद्राएँ व भाव-भंगिमाएँ मानव विज्ञान के लिए कौतुहल के विषय बने रहे। फिर वैज्ञानिकों के सामने, एक सच्चाई सामने आयी कि मुद्राएँ मुँह से बोले जाने वाले शब्दों का समर्थन करने के लिये शरीर द्वारा मूक अभिनय मात्रा नहीं है, बल्कि इसका अपना स्वतन्त्र अस्तित्व है और ये मानव मन की सच्ची भावनाओं को व्यक्त करती हैं। शारीरिक मुद्राएँ मुँह से बोले जाने वाले शब्दों की दासी नहीं है। मुँह से जब भी कोई झूठ निकलता है तो शरीर अपनी मुद्राओं द्वारा सच्चाई व्यक्त कर उसका प्रतिरोध करता है। शरीर की भाषा की इस अनोखी विशेषता ने विशेषज्ञों को अपनी ओर काफ़ी आकर्षित किया है।
आज सारे संसार में दो प्रकार की भाषाओं का वर्चस्व है। पहली-वाचक भाषा और दूसरी-मूक भाषा। वाचक भाषा से हमारा तात्पर्य है, मुँह की ध्वनि के द्वारा अपनी क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं एवं भावनाओं की अभिव्यक्ति, जो हमारे कानों द्वारा सुनी जाती है। वाचक भाषाएँ कई प्रकार की होती है। हमारे देश भारत में कई प्रकार की भाषाओं का प्रचलन है।
मूक या मौन भाषा वह है, जिसमें ध्वनि संप्रेषण के द्वारा अभिव्यक्ति नहीं की जाती, बल्कि शारीरिक अंगों की क्रियाओं एवं प्रतिक्रियाओं द्वारा अभिव्यक्ति की जाती है। इसमें भी दो प्रकार की भाषाओं का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें हम व्यक्त और अव्यक्त मूक भाषा कह सकते हैं। व्यक्त मूक भाषा वह है जिसमें अभिव्यक्ति जान-बूझकर की जाती है, ताकि जिसके लिये अभिव्यक्ति की जा रही है, वह आसानी से इसे समझ सके। उदाहरण के तौर पर आँखों के इशारे मात्रा से कुछ कहना, मुस्कराना, गुस्सा करना, उदास होना, खिन्न होना, उत्तेजित होना, पैर पटकना और खुशी व्यक्त करना आदि।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अव्यक्त मूकभाषा में अभिव्यक्ति और व्यक्तित्व दोनों गुप्त रूप से विद्यमान तो रहते हैं, परन्तु यह आम इनसान की समझ से परे होते हैं। इन्हें समझने के लिये आवश्यकता होती है अतिरिक्त सूझबूझ और दूरदर्शिता की, तभी हम इस मूक भाषा को अच्छी तरह समझ सकते हैं।
आजकल दैहिक अथवा शारीरिक भाषा के मनोविज्ञान का उपयोग और महत्त्व सारे संसार में आवश्यक माना जा रहा है, जिसके फलस्वरूप कई विद्वान, बुद्धिजीवी इस विषय पर शोध कार्य कर रहे हैं, जिनका नाम उन्होंने बॉडी लैंग्वेज़ दिया है। इस विषय पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और आगे भी होती रहेगीं, क्योंकि समन और नियम के अनुसार इसमें आगे भी परिवर्तन होते रहेंगे।
भारत में भी इस विषय पर पिछले कई सालों से शोध किये जा रहे हैं एवं इस विषय पर और जागरूक होने की आवश्यकता को स्वीकार किया जा रहा है, इसलिए इस महत्त्वपूर्ण विषय पर अनेकानेक लेख एवं पुस्तकें लगातार प्रकाशित हो रही हैं।
प्रसिद्ध मनोविज्ञानिक सिगमण्ड फ्रॉयड जब अपने क्रान्तिकारी विचारों और मनोविश्लेषण के सिद्धान्तों को लेकर आये तो शरीर की भाषा यथार्थ को जानने का एक सशक्त माध्यम बनी। मुँह से बोले गये शब्द तो प्रायः सच पर झूठ का पर्दा डालने का काम करते थे, परन्तु हाव-भाव व मुद्राएँ मन की सच्चाई को अभिनीत करती रहीं। बाद के वर्षों में यह मानव मन को टटोलने का अच्छा साधन बन गया। बॉडी लैंग्वेज उच्चाधिकारियों, प्रबंधकों, वकीलों व चिकित्सकों के लिये वरदान साबित होने लगी, क्योंकि जिन लोगों से इनका पाला पड़ता था, वे संकोचवश या किसी अन्य कारण से अधिकतर सच को छिपाने की कोशिश करते थे। बाद में तकनीक और प्रतियोगिता की वजह से इसका दखल जीवनशैली के प्रत्येक क्षेत्र में होने लगा। बॉडी लैंग्वेज व्यक्ति की वास्तविक मनोस्थिति को दर्शाती है। इससे शरीर की भाषा का महत्त्व और भी बढ़ गया। जिन लोगों का दूसरे लोगों से व्यावसायिक रूप से वास्ता पड़ता था, उन्हें शरीर की भाषा के विभिन्न पहलुओं पर विशेष शिक्षा दी जाने लगी, क्योंकि दूसरों की मंशा जानने का यह सबसे सच्चा व प्रामाणिक साधन था। इसके महत्त्व को समझते ही आम लोगों में इसके प्रति रुचि बढ़ी तथा लोग शरीर की भाषा से सम्बन्धित साहित्य पढ़़ने लगे। लोगों ने पाया कि शरीर की भाषा समझना घरेलू, पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर भी लाभदायक तथा अतिमनोरंजक है।
शरीर की भाषा (बॉडी लैंग्वेज) के रहस्यमय संसार से भारतीय पाठकों का परिचय करोने की इच्छा ने ही मुझे यह पुस्तक तैयार करने की प्रेरणा दी। यह पुस्तक कोई शोध ग्रन्थ अथवा रिसर्च पेपर नहीं है। यह पुस्तक पाठकों को शरीर की भाषा (बॉडी लैंग्वेज) के बारे में (हाव भाव तथा विभिन्न शारीरिक मुद्राओं से) परिचय कराती है। इस पुस्तक को पढ़कर हर व्यक्ति शारीरिक मुख्य मुद्राओं के गूढ़ अर्थ समझकर अपने ज्ञान को एक नया आयाम दे सकता है।
प्रस्तुत पुस्तक में मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों को ध्यान में रखते हुए उनका चित्रंकन भी दिया गया है और साथ ही इस पुस्तक में अत्यन्त सरल एवं रोचक भाषा का प्रयोग किया गया है, जो रुचिकर होने के साथ ज्ञानवर्धाक भी है।
प्रस्तुत पुस्तक में जिन रोचक क्रियाकलापों का सचित्र वर्णन किया गया है, जिनसे व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व की गुप्त भाषा को आसानी से पढ़कर समझा जा सकता है जैसे- उठने-बैठने, खड़े होने, कुर्सी पर बैठने, अभिवादन तथा बातचीत इत्यादि। इन मुद्राओं के द्वारा बिना कुछ कहे, बिना कुछ पूछे, केवल देखने भर से ही आप सामने खड़े व्यक्ति के विशेष व्यक्तित्व की पहचानकर सकते हैं और दैनिक जीवन में उसका उपयोग कर लाभान्वित हो सकते हैं।
इस पुस्तक में दी गयी जानकारियों और अनुमान को गणितीय सूत्रों की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि हमारे परिवेश और सोचने के तरीक़ों का बड़ा महत्त्व है। अतः सिद्धान्तों में लचीलापन होना चाहिए।
पुस्तक को लिखते समय इस बात का खासतौर पर ध्यानरखा गया है कि सामग्री पठनीय और रुचिकर हो। मुझे यक़ीन है कि यह पुस्तक आपको रुचिकर व ज्ञानवर्धाक लगेगी और शरीर की भाषा को पढ़ सकने के रूप में आपके ज्ञान के लिये मील का पत्थर साबित होगी। हमें आपके बहुमूल्य सुझाव की प्रतीक्षा रहेगी।
-अरुण सागर ‘आनन्द’



विषय-सूची
बॉडी लैंग्वेज़
चेहरे (आँख, नाक, कान, गला, ठोड़ी) की दैहिक भाषा
हथेली, अँगुली, हाथों व अँगूठे की दैहिक भाषा
अभिवादन (नमस्ते तथा चरण स्पर्श) की दैहिक भाषा
हाथ मिलाने की दैहिक भाषा
बातचीत की दैहिक भाषा (मोबाइल का प्रयोग)
चलने, बैठने तथा खड़े होने की दैहिक भाषा
प्रेम निमन्त्रण के भाव और स्त्रियों की दैहिक भाषा
झूठ के रूप अनेक
निर्जीव वस्तुओं से सम्बन्धित दैहिक भाषा
क्षेत्र और सीमायें
इंटरव्यू के दौरान दैहिक भाषा
अन्य लोकप्रिय मुद्राएँ और मानव व्यवहार
लिखने का ढंग और दैहिक भाषा
और संक्षेप में


बॉडी लैंग्वेज़
क्या है बॉडी लैंग्वेज
जब आपके अन्दर किसी विशेष उपलब्धि का अहसास होता है तब आप स्वाभिमान के साथ सिर को ऊँचा कर चलते हैं। चाल में मस्ती होती है। ठोड़ी ज़रा ऊपर होती है, लेकिन जब आप निराश होते हैं तो आपके क़दम दायें-बायें डोलने लगते हैं और कभी लड़खड़ा भी जाते हैं। जब भय से परेशान होते हैं, तब पलकें बहुत झपकती हैं। लुईविले विश्वविद्यालय के प्रो. रे बर्डहि्वसल ने इन व्यवहारों को बॉडी लैंग्वेज़ की संज्ञा दी, जिसका हिन्दी रूपांतर है-दैहिक भाषा।

यह संप्रेषण (Communication) की एक विधि है, जिसे अशाब्दिक संप्रेषण कहते हैं। इस विधि में भाव-मुद्राओं तथा संकेतों का प्रयोग किया जाता है, जिनके द्वारा अन्य व्यक्ति संप्रेषक की मनःस्थिति को अच्छी तरह समझ लेता है। अशाब्दिक माध्यम का प्रयोग व्यक्तिगत भावनाओं को संप्रेषित करने के लिये किया जाता है। हॉलीबुड के प्रसिद्ध अभिनेता चार्ली चैपलिन अशाब्दिक संप्रेषण की खूबियों के प्रण

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