PANCHATANTRA (Hindi)
137 pages
Hindi

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PANCHATANTRA (Hindi) , livre ebook

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Description

Panchatantra is perhaps the oldest collection of Indian fables still gaining strength and moving ahead. It is believed to have written around 200BC by the great Hindu Scholar Pandit Vishnu Sharma. Panchatantra means "the five principles”. It is a "Nitishastra" which means book of wise conduct in life. Panchatantra consists of five books: 1. Mitra Bhedha (The loss of friends); 2. Mitra Laabha (Gaining friends); 3. Kakolukiyam (Crows and owls); 4. Labdhap-ranasam (Loss of gains); and 5. Aparikshitakarakam (Ill-considered actions). The simple stories of Panchatantra have stood the test of time in the modern age of materialism, stressful living and individualism, and aim to guide the young readers on how to attain success in life by understanding human nature.

Key Features:

Written in simple and lucid language

Each story is supplemented by a moral

Word meaning for vocabulary building

Practice exercise given for better understanding

Panchatantra is commonly available in an abridged form for children. It is an ideal book worth going through many times over. Honestly speaking, it is of far more practical importance for elders to read this book since it is they who always come in contact with people having good, doubtful or bad intensions and motives.

A must read for students of all age groups.


Sujets

Informations

Publié par
Date de parution 20 décembre 2012
Nombre de lectures 0
EAN13 9789352151332
Langue Hindi
Poids de l'ouvrage 2 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

तन्वीर खान
 
 





प्रकाशक

F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002 23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028 E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com
क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटि, हैदराबाद-500015
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com
शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com
फ़ॉलो करें:
© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स ISBN 978-93-815889-9-4
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020


 
प्रकाशकीय
प्र स्तुत पुस्तक 'पंचतंत्र' की गणना विश्व के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथों में की जाती है। पंचतंत्र का रचनाकाल पाँचवी शताब्दी माना गया है। इसके रचयिता श्री विष्णुशर्मा थे। नारायण पंडित का "हितोपदेश' और फारसी ग्रंथ 'अनवर ई दानिश' का आधार पंचतंत्र को माना जाता है। पंचतंत्र में पशु-पक्षियों पर ढालकर लिखी गयी ज्ञानवर्द्धक कहानियाँ हैं। पंचतंत्र की सरल कथाओं से बच्चे, युवा और बड़े-बुजुर्ग सभी को सीखने को बहुत कुछ मिलता है। पंचतंत्र की कहानियाँ" पाठक को व्यवहार कुशल तथा नीतिज्ञ बनाती है। सामाजिक ज्ञान तथा व्यावहारिक ज्ञान का खजाना भरा पड़ है। यह पुस्तक पंचतंत्र का सरल हिन्दी रूपान्तरण है। प्रत्येक कहानी के अंत में कहानी से प्राप्त होने वाली शिक्षा को दिया गया है। सफलता के लिए जितनी जनकारी आवश्यक है उतना इस पुस्तक में यथेष्ट रूप में दिया गया है।
हम आप सबको इस पंचतंत्र की रोचक कहानियों को पढकर ज्ञानार्जन करके नीतिनिपुर्ण बनने की सद्इच्छा व्यक्त करते हुए यह कहानीरूप में प्रस्तुत अनमोल धरोहर आपके हाथों में सौंपता हूँ।
—प्रकाशक
विषय सूची
1. एक मूर्ख मित्र
2. छोटे चूहे और बड़े हाथी
3. शेर और खरगोश
4. शंदिली और तिल के बीज
5. बिना अक्ल का गधा
6. पक्षियों का जोड़ा और समुद्र
7. सुनहरी बीट वाली चिड़िया
8. नीला सियार
9. ब्राह्मण का स्वप्न
10. तीन ठग
11. ऊँट, सियार और कौआ
12. बिल्ली, तीतर और खरगोश
13. मछलियाँ और मेढक
14. मूर्ख गधा
15. मूर्ख ब्राह्मण और डाकू
16. चार मित्र
17. स्वर्ण हंस
18. स्वर्ण देने वाला नाग
19. लालची कोबरा और मेढकों का राजा
20. साधु और चूहा
21. शिकारी और कबूतर
22. ब्राह्मण मित्र और शेर को जीवनदान
23. ब्राह्मण की पत्नी और नेवला
24. गौरैया और जंगली हाथी
25. केकड़ा और बगुला
26. जुड़वाँ
27. दो सिर वाला जुलाहा।
28. बुद्धिमान हस और बातूनी कछुआ
29. लड़की और उसका सर्प-पति
30. बन्दर और मगरमच्छ


 
विषय सूची
1.एक मुर्ख मित्र

2.छोटे चूहे और बड़े हाथी

3.शेर और खरगोश

4.शंदिली और तिल के बीज

5.बिना अक्ल का गधा

6.पक्षियों का जोड़ा और समुद्र

7.सुनहरी बीट वाली चिड़िया

8.नीला सियार

9.ब्राह्मण का स्वप्न

10.तीन ठग

 
एक मुर्ख मित्र
एक बार एक बहुत धनवान राजा था। उसके पास एक पालतू बन्दर था। वह उसे बहुत चाहता था। वह अपने बन्दर से
बार-बार कहता था कि, मेरे मित्र, तुमसे अच्छा मेरा कोई और साथी नहीं है। प्रतिदिन सुबह को बन्दर, राजा के साथ उसके शाही बगीचे में सैर को जाता था।
प्रतिदिन की भांति, एक खूबसूरत सुबह को राजा अपने बगीचे में टहल रहा था, तभी अन्दर ने घास में छिपे हुए एक साँप को देखा जो राजा को काटने की तैयारी में था। बन्दर अपने मालिक को बचाना चाहता था इसलिए उसने जल्दी से एक योजना बनायी, सही समय पर बन्दर ने साँप को, झपट कर पकड़ लिया और उसके टुकड़े-टुकड़े कर डाले। इस प्रकार राजा की जान बचा ली। जब राजा को इस बात का पता चला तो वह वहुत प्रसन्न हुआ। राजा को अपने बन्दर की चपलता और सतर्कता पर बड़ा गर्व था, उसने शीघ्र ही बन्दर को अपने मंत्रियो के विरोध के बावजूद अपना निजी अंगरक्षक नियुक्त कर लिया।

राज्य के मन्त्रियों ने राजा के इस निर्णय का काफी विरोध किया। उनका कहना था कि बन्दर सिर्फ एक जानवर है, और वह मनुष्यों की भक्ति अंगरक्षक का कार्य नहीं कर सकता। राजा ने फिर भी उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया। राजा ने कहा कि 'बन्दर उसे बहुत प्यार करता है और वह बहुत वफादार है। यही किसी अंगरक्षक का सबसे महत्त्वपूर्ण गुणा होता है। क्या तुम सब लोगों ने नहीं देखा कि उसने किस प्रकार मेरी जान बचायी?" राजा के इन शब्दों ने उन सब लोगों को चुप कर दिया जो एक अन्दर को अंगरक्षक नियुक्त करने के विरुद्ध थे।
ऐसा कई महीनों चलता रहा। एक दिन जब राजा अपने शयनकक्ष में आराम कर रहा था उसने बन्दर को आवाज दी और कहा कि 'मैं बहुत थका हुआ हूँ, और कुछ घण्टों के लिए सोने जा रहा हूँ, मैं कोई परेशानी नहीं चाहता हूँ, न कोई अन्दर आये और न ही कोई मुझे परेशान करे, समझ गए तुमा'

‘हाँ मालिक, मैं आपके आदेश का पालन करूंगा, बन्दर ने कहा।’
शीघ्र ही राजा सो गया और बन्दर सतर्कता से अपना कार्य करने लगा। वह राजा के विस्तर के पास खड़ा हो गया और सतर्कता से चौकसी करने लगा।
कुछ समय बाद एक मक्खी राजा के शयनकक्ष में घुस आयी। कुछ समय तक कक्ष मैं चारों और उड़ने के बाद सोते हुए राजा के चेहरे के पास आकर भिनभिनाने लगी। राजा ने उसे भगाया और करवटें बदलने लगा। उसकी शान्तिपूर्ण नीद में खलल पड़ रहा था।
बन्दर को राजा का आदेश अच्छी तरह से पता था, वह तुरन्त ही क्रियाशील हो गया। यह मक्खी को उड़ाने की कोशिश करने लगा, लेकिन वह मक्खी बारबार आकर राजा के चेहरे के पास भिनभिनाने लगती। कुछ कोशिशों के बाद बन्दर मक्खी को भगाने में सफल हो गया। वह अपनी कार्यवाही पर खुशा हो गया और खुद पर मुस्कराने लगा।
थोडी देर बाद मक्खी उसकी अवहेलना करते हुए वापस आ गयी। इससे बन्दर उग्र हो गया तथा अब उसने मक्खी को समाप्त करने का ही निश्चय कर लिया। उसने राजा की तलवार उठायी और मंडराती हुई मक्खी को खोजने लगा। फिर अचानक अन्दर ने देखा कि वह राजा की गर्दन पर बैठी है मक्खी को मारने के लिए उसने पूरी ताकत से मक्खी पर तलवार दे मारी। उसने सोचा कि अब मक्खी के दो टुकड़े करने में सफल हो जायेगा। दुर्भाग्य से तलवार मक्खी को नहीं लगी और राजा की गर्दन कट गयी और राजा मर गया। उसकी प्रजा अपने राजा की मृत्यु से काफी दुखी हुईं और प्रजाजन इस दुर्घटना" पर विलाप करने लगे।


शिक्षा: कभी-कभी एक मूर्ख दोस्त, एक बुद्धिमान दुश्मन से ज्यादा हानिकारक होता है।

शब्दावली शाही बगीचा राजा का निजी बगीचा चपलता शीघ्रता से कार्य करना सतर्कता सावधान रहना अंगरक्षक राजा की सुरक्षा करने वाला भिनभिनाना मक्खी की आवाज उग्र होना क्रोधित होना विलाप करना रोने लगना
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(1) बन्दर ने ....................... को दबोच कर मार डाला।
(2) राजा ने ..................... को अपना निजी अंगरक्षक नियुक्त किया।
(3) बन्दर ने राजा को................... से मार डाला।
(4) मुर्ख दोस्त, ....................... से ज्यादा हानिकारक होता है।

छोटे चूहे और बड़े हाथी
एक बार किसी समय पर एक गाँव भूकम्प से पूरी तरह तबाह हो गया था। गाँव के सारे मकान नष्ट हो गये थे और गाँव खण्डहर में बदल गया था। इस प्रकार सभी गांव-वासी गाँव से पलायन करने को मजबूर हो गये और वह रहने के लिए अन्यत्र किसी स्थान को खोजने लगे।
खाली गाँव चूहों का आवास बन गया। जल्दी ही उनकी संख्या सैकडों-हजारों में बढ गयी।
गाँव एक झील के किनारे बसा हुआ था। एक हाथियों का झुण्ड प्रतिदिन झील में पानी पीने के लिए आया करता था। की गाँव अब खण्डहर हो चुका था इसलिए प्रत्येक सुबह हाथी गाँव से होकर ही झील की ओर जाने लगे। जब हाथी झील की ओर जाते थे तब प्रतिदिन उनके पैरों के नीचे सैकडों चूहे कुचल जाते थे। इससे चूहों को भारी दिक्कत होती थी। तब चूहों ने इस समस्या का हल खोजने के लिए एक सभा का आयोजन किया। काफी विचार-विमर्श के बाद चूहों के राजा का हाथियों के राजा से मिलकर समस्या को बताने का निश्चय किया गया।

अगले दिन चूहों का राजा स्वयं ही हाथियों के राजा से मिला। चूहों का राजा बोला, 'श्रीमान् हम उस खण्डहर हो चुके गाँव में रहते हैं और हर बार जब आप यहाँ से होकर गुजरते है तब हाथियों के पैरों के नीचे आकर सैकडों चूहे कुचल जाते हैं। हमारी आपसे प्रार्थना है कि आप कृपा करके अपना मार्ग बदल दें और हमारे प्राणों की रक्षा करें। बदले में हम आपकी संकट के समय में मदद करने का वचन देते हैं।
हाथियों का राजा जोर-जोर से हँसने लगा। वह बोला, "तुम हमारी क्या मदद करोगे? तुम छोटे चूहे हमारे जैसे विशाल हाथियों की मदद करोगे? खैर इस बात को छोड़ो हम अपना झील के लिए मार्ग बदल लेंगे और तुम लोगों के ऊपर से नहीं गुज़रेंगे। चूहों के राजा ने हाथियों के राजा को धन्यवाद दिया और सभी को यह शुभ समाचार सुनाया। इस प्रकार चूहे सुरक्षित और शान्तिपूर्वक गाँव में रहने लगे

एक दिन एक शिकारियों के समूह ने बहुत बड़े और मज़बूत जाल में हाथियों का पकड़ लिया। हाथियों ने काफी कोशिश की लेकिन वह स्वयं को उन मजबूत जालों से मुक्त नहीं करा सके। तब हाथियों के राजा को चूहे के राजा का वचन याद आया, उसने कहा था कि वह संकट की घड़ी में मदद करेगा। उसने पास से गुजर रहे एक हिरन को पुकारा और उससे चूहों के राजा के पास जाकर और उनकी मदद करने को कहा। जैसे ही चूहों के राजा को संदेश मिला वह अपने पूरे समूह के साथ उन्हें छुडाने आ पहुँचा। चूहों ने तारों को काट डाला और उसे जाल को ढीला कर दिया। जिससे हाथियों ने जाल को तोड़ डाला और सुरक्षित बच निकले। वे चूहों द्वारा, उनकी समय पर सहायता करने के लिए बहुत आभारी थे। चूहों ने उनकी सबसे कठिन समय में मदद की थी। तब से वह आपस में घनिष्ठ मित्र बन गये और जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद करने लगे।


शिक्षा: कभी-कभी कमजोर दिखने वाला व्यक्ति भी दूसरो' से ज्यादा ताकतवर सिद्ध होता है।

शब्दावली भूकम्प पृथ्वी की सतह पर हूई हलचल, जिससे सब कुछ नष्ट हो जाता है खण्डहर टूटे हुए मकान विचार विर्मश किसी बात पर आपस में चर्चा करना वचन देना वादा करना घनिष्ट मित्र सच्चा दोस्त जाल जानवरों को पकड़ने के लिए मजबूत तारों से बनाया जाता है आभारी होना किसी का अहसानमन्द होना
उस स्थिति के बारे में सोचे, जब-
(1) आपने अपने से किसी बड़े की मदद की।
(2) आपने अपने से किसी छोटे की मदद की।
दोनों स्थितियों के बारे में 50-50 शब्द लिखे
(1) .................................................................................................................................... .....................................................................

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